देश की धर्म निरपेक्ष पहचान को बनाए रखने की जरुरत

संपादकीय लेख : डॉ. बिजेन्द सिन्हा का संपादकीय लेख “देश की धर्म निरपेक्ष पहचान को बनाए रखने की जरुरत” । धर्म निरपेक्षता का प्रतिपादन भारत को सार्वभौमिक श्रेय दिलाता है। वर्तमान समय में संविधान में दिये धर्म निरपेक्षता के मूल्यों का संरक्षण जरुरी है। हमारे संविधान का निर्माण धर्म,पंथ, जाति,लिङ्ग के आधार से नहीं हुआ है।

संविधान के मूल में धर्म निरपेक्षता की अवधारणा है। लेकिन लगता है कि वर्तमान समय में सास्कृतिक एकता व सामाजिक सौहार्द्रता में कमी आई है। अपने जैसे लोगों से मधुर संबंध बनाना व अपने से भिन्न मत वाले के प्रति विमुखता का भाव अनेकता में एकता विविधता के बीच समता मे बाधक है। इससे धर्म निरपेक्षता का ताना -बाना बिगड सकता है। आजादी की लडाई में सभी जाति व धर्म के लोगों का योगदान रहा है।

वर्तमान समय में भी देश के विकास में सभी जाति पंथ धर्म के लोगों, किसानों, व सभी वर्ग के लोगों का योगदान है। जाति व धर्म के नाम पर तनाव व भेदभाव देश हित में नहीं है। संविधान ने भी इस वर्गभेद को अस्वीकारा है।जाति व धर्म आधारित राजनीति ने देश का काफी नुकसान किया जिसका परिणाम पूरे देश ने देखा ।हमारा देश धर्म निरपेक्षता सिद्धांत के गौरवशाली परंपरा को बनाए रखने के लिए विश्वविख्यात है।

इसी आधार पर विश्व मंच में अपना विशेष स्थान बनाया है। भारतीय संस्कृति समाज को जाति धर्म में काटती-बाटती नहीं बल्कि बिना किसी भेदभाव के सभी को अपनी संवेदना से सींचती है। अतीत में अपना भारतीय समाज इन्हीं मूल्यों एवं गुणों से ओत-प्रोत था। पारस्परिक विश्वास एवं व्यवहार को आर्थिक,राजनैतिक व समाजिकता से संयुक्त करने में हमारी आस्था रही है।

यहां की सांस्कृतिक विरासत सदा-सदा से अनेक प्रकार के लोगों और अनेक प्रकार के विचारो के बीच समन्वय स्थापित करने को तैयार है। विविधताओं एवं भिन्नताओं के बीच एकता एवं सामंजस्य कायम करने की दृढ इच्छाशक्ति एवं साहस इसमें सदा से अद्भूत रहा है। निश्चित ही इसे मानवता के लिए वरदान समझा जा सकता है। हमारे देश में विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले विभिन्न जातियों, पंथो व धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं। अतः यहाँ हमेशा धर्म निरपेक्षता को बनाए रखने की आवश्यकता है।संविधान की प्रस्तावना व्यक्ति व राष्ट्र की एकता व अखण्डता की गरिमा बनाए रखने के लिए लोगों के बीच भाईचारे को बढावा देते हैं। वर्ग,जाति, धर्म, सम्प्रदाय के आधार पर भेदभाव एक को सम्मान व दूसरे को घृणा की दृष्टि से देखना व घृणा करना वैचारिक ही नहीं मानवता की दृष्टि से भी उचित नहीं है। आज गांधी जी और अम्बेडकर जी के धर्म निरपेक्षत देश की रचना की अवधारणा प्रभावित हो सकता है ।

उनके विचारों का भारत बनाने की जरुरत है। धर्म निरपेक्षता को वोट बैंक के लिए राजनैतिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। हमारे संविधान में स्वतंत्रता ,समानता, बन्धुत्व व न्याय आदि मूल्य निहित है। हमें इस बात पर चिंतन करना चाहिए कि धर्मनिरपेक्षता का पालन जमीनी स्तर पर क्यों नहीं हुआ है। आज धर्म निरपेक्षता के सिद्धांत प्रभावित हो सकता है। संविधान के मूल में धर्म निरपेक्षता की अवधारणा है।

बेहतर समाज के निर्माण में धर्म निरपेक्षता की अहम भूमिका है। डा. अम्बेडकर का विचार ही भारत को संरक्षित, सुरक्षित व सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित कर सकता है। गौरतलब है कि गांधी जी का राम राज्य का स्वरूप तो स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता व न्याय आधारित व्यवस्था से था। इन महान विभूतियों के विचारो का भारत बनाने की जरुरत है,वस्तुतः एकता, समता, सहिष्णुता,उदारता सौहार्द्रता धर्म निरपेक्षता की शास्वत विशेषताएं हैं जो देश हित के लिए उपयोगी है। लेकिन आज धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत प्रभावित हो सकते हैं।

वस्तुतः धर्म निरपेक्षता उदार भावना एवं सर्व व्यापी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है जो सर्व धर्म समभाव से संचालित है। संविधान की प्रस्तावना व्यक्ति व राष्ट्र की एकता व अखण्डता की गरिमा बनाए रखने के लिए लोगों के बीच समता स्थापित करती है।
धर्म निरपेक्षता भेदभाव मिटाकर समानता लाती है। धर्म निरपेक्षता न केवल भेदभाव का बल्कि सामाजिक व्यवस्था के अन्य के अन्य विकृत स्वरूपों दमन, ऊच-नीच बहिष्कार व अपमान का विरोध करती है।

धर्म निरपेक्षता के राजनीतिक विचारधारा से ही बेहतर समाज का निर्माण हो सकता है। सर्व धर्म समभाव धर्मनिरपेक्षता की सर्वमान्य व्याख्या होना चाहिए। सर्वधर्म समभाव से ही राष्ट्र विकास पथ पर अग्रसर हो सकता है।हमारे संविधान के मूल में धर्म निरपेक्षता की अवधारणा है। बेहतर समाज के निर्माण में धर्मनिरपेक्षता की अहम भूमिका है। देशभक्ति व राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए। धर्मनिरपेक्षता उदार भावना एवं सर्व व्यापी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। धर्मनिरपेक्षता सभी को एकता व समता के सूत्र में बाँधने का कार्य करती है। धर्मनिरपेक्षता नैतिकता तथा मानव कल्याण को बढावा देता है जो सभी धर्मो का मूल है। धर्मनिरपेक्षता को अपनाकर ही मानवीय जीवन को उज्जवल भविष्य की राह दिखाई जा सकती है।

B. R. SAHU CO-EDITOR
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B.R. SAHU CO EDITOR - "CHHATTISGARH 24 NEWS"

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