‘प्रदीप मिश्रा’ की कथा कराने वाली आयोजन समिति ने लगाया… लाखों का चूना.?, जाने पूरा मामला

राजनांदगांव : संस्कारधानी राजनांदगाव में धर्म की आड़ में जनता के साथ-साथ प्रशासन और निगम के खजाने में भी डाका डालने का ‘खेला’ हो गया है । बता दे कि विश्व विख्यात कथावाचक ‘पंडित प्रदीप मिश्रा’ को बुलाकर संस्‍कारधानी में शिव महापुराण का आयोजन किया गया था व उसकी टिकट बेचने को लेकर आयोजन समिति विवादों में रही। इसके चलते आयोजन जल्दी समाप्त भी कर दिया गया। वही इस कथा आयोजन से जुड़े विवाद अब भी थमे नहीं है।⬇️शेष निचे⬇️

आपको बतादें कि 2 अगस्त से 8 अगस्त तक नगर निगम के ऑडिटोरियम में आयोजन किया गया, जिसे किसी दिनेश साहू ने बुक किया, वही नगर निगम ने उन्‍हें 23,275 रुपए प्रतिदिन के किराये में ऑडिटोरियम में कार्यक्रम की अनुमति दी व कार्यक्रम निपटने के बाद आयोजक का नाम संशोधित कर संतोष पिल्ले और मधुसूदन यादव कर दिया गया।⬇️शेष निचे⬇️

वही पंकज शर्मा ने बताया कि, आयोजन समिति द्वारा आडिटोरियम को सिर्फ हॉल बुक करने की बात किराये में लेने के आवेदन में कही गई थी। लेकिन शिव कथा महापुराण आयोजन में पूरे आडिटोरियम का उपयोग किया गया था। जिसका एक दिन का किराया 55 हजार रुपये है और 7 दिन का 3 लाख 85 हजार रुपये होते है। यह पैसे उक्त आयोजन समिति को जमा कराना था जो कि आज दिनांक तक जमा नहीं किया गया है। ऐसे में नगर निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।⬇️शेष निचे⬇️

वही आयोजन समिति से मिलीभगत के चलते इस कथा के लिए किराये से दिये गये आडिटोरियम की राशि अब तक जमा नही करवाई गई है। जबकी आयोजन करने वाले पंडित ‘प्रदीप मिश्रा’ और पूरे आयोजन में काम करने वालों को उनकी मेहनत का भुगतान मिल गया। वही आयोजन समिति ने टिकट बेचकर और शहर के कई समाजसेवियों को यजमान बनाकर मोटी रकम वसूल लिए। लेकिन जिस जगह आयोजन किया गया उसका 7 दिन का किराया 3 लाख 85 हजार रुपये आज तक नहीं दिया गया इसके बाद भी नगर निगम आयुक्त, अधिकारियों ने बड़ी लापरवाही दिखाई।⬇️शेष निचे⬇️

वही निगम अधिकारीयों की जिम्मेदारी थी कि किराया पहले जमा हो फिर आडिटोरियम की चाबी आयोजक को सौपी जाए। वही निगम की सता में कांग्रेस और विपक्ष में भाजपा बैठी है फिर भी इस मामले में सभी खामोश है। वहीं आयोजन से जुड़े रहे पार्षद संतोष पिल्‍ले कहना है कि, आयोजन में शामिल अन्‍य लोगों से इस पर चर्चा करुंगा एवं निगम में किराये की राशि जमा करने को लेकर बात की जाएगी।⬇️शेष निचे⬇️

अब सवाल उठ रहा है कि आखिर किसके इशारे पर संस्कारधानी में बाहर से आकर सरकारी भवन में आयोजन कराकर शहर की जनता से लाखों रुपये पास के रूप में वसूल कर और नगर निगम को किराया ना देकर लाखों का चूना लगाया गया। वही इस मामले में नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी और निगम के जनप्रतिनिधि सभी खामोश है।

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