लेखक-वेदनारायण ठाकुर
1. स्कूल का वह समय सारणी, हमें बहुत सताता था, परंतु मन तो सिर्फ, स्कूल में भाता था, कालेज आकर छूट गया, वह समय का प्रबंधन, किसे पता था, रूठ जाएगा वह स्कूल जाने का मन
2. स्कूल जाना कभी, मजबूरी थी हमारी आज यादगार बन गए वह पल जिसकी कमी रहेगी सारी
3. शिक्षक का डांटना ,हमें बहुत खटकता था , आज बोलने को कोई नहीं ,सिर्फ राहे तकता था।
4. ज्ञान की वो बातें हमें समझ में ना आती थी, मस्ती ही मजाक सही पर हमको बहुत भाती थी।
5. आज तो पढ़ाई सिर्फ लेक्चर बनके रह गया शिक्षक आती थी जाती थी, जो पढ़ाया वो सर से जाती थी।
6. सच में क्या दिन थे, स्कूल के हमारे, मन थी खुशियां थी, था सारा माहौल, नया सवेरा होते ही , मन स्कूल जाने को मचलता था, दिनभर की वो चहलकदमी, फिर शाम ढलता था।
7. रोज-रोज के यूनिफॉर्म से, थे हम परेशान कभी, आज वो छूट गया लगती बहुत है उसकी कमी l
8.स्कूल के जिस जीवन को , समझते थे हम परेशानी , आज पता चला कि, थी वो हमारी नादानी ,स्कूल जैसे दोस्त अब कहां मिल पाएंगे स्कूल के वो दिन हमें, सदा याद आएंगे।