कृषि से जुड़ा यह हरेली का पर्व हमारी अनूठी संस्कृति का हिस्सा है – सैय्यद अफज़ल

राजनांदगांव : जिला कांग्रेस कमेटी व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सैय्यद अफज़ल अली ने कहा कि हरेली छत्तीसगढ़ के जन-जीवन में रचा-बसा खेती-किसानी से जुड़ा पहला त्यौहार है। कृषि संस्कृति एवं गोधन के संरक्षण सवंध्दर्न इसमें अच्छी फसल की कामना के साथ खेती-किसानी से जुड़े औजारों की पूजा व इस दिन कृषि उपकरण किसान मितान सभी कृषि औजारों की धरती माता की पूजा कर किसान भरण पोषण के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं।

कड़वे निम की डलिया, अनिष्ट और नकारात्मक शक्तियों के दुष्प्रभाव से सब की रक्षा करने के सभी प्रयोग करते हैं। बांस की गेड़ी जीवन में संतुलन बनाने की सीख को प्रदर्शित करती है, जीवन का भी यही सार है_संतुलित रहते हुए जीवन रूपी गेड़ी का आनंद लेना। प्राचीन मान्यता के अनुसार सुरक्षा के लिए घरों के बाहर नीम की पत्तियां लगाई जाती हैं।

श्री अफज़ल ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ की इस गौरवशाली संस्कृति और परम्परा को सहेजने हरेली त्यौहार के विशेष महत्व को समझते हुए वर्तमान छ.ग.की भूपेश बघेल जी की कांग्रेस सरकार द्वारा इस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है।ताकि हम सभी छत्तीसगढ़वासी पूरे हर्षोल्लास के साथ हरेली त्यौहार मना सकें।

कृषि संस्कृति एवं गोधन के संरक्षण,संवर्द्धन एवं परिवर्द्धन को सर्वोच्च प्राथमिकता में लेते हुए छ.ग.की भूपेश बघेल सरकार विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है।वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक तीज-त्यौहार की प्रासंगिकता और जागरूकता को बढ़ाने के लिए।

छ.ग. सरकार द्वारा विभिन्न स्तर पर सार्थक एवं सराहनीय प्रयास किये जा रहे हैं। माननीय भूपेश बघेल की सरकार में हरेली से सम्बंधित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा, ताकि आज की पीढ़ी भी हरेली त्यौहार के महत्व को समझ सके, आने वाली पीढ़ी लोक-परंपराओं को जीवित रख सके। उन्होंने छत्तीसगढ़ की प्राचीन संस्कृति और परंपरा हमारा गौरव है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी संस्कृति और परम्परा को सहेजने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं।

हरेली के दिन ही दो साल पहले प्रदेश की महत्वाकांक्षी और अनूठी ‘गोधन न्याय योजना’ का शुभारंभ हुआ है। यह खुशी की बात है कि ‘गोधन न्याय योजना’ योजना ने गांवों की अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत और नया आधार तैयार किया हैै। योजना के तहत पशुपालक ग्रामीणों से पिछले दो सालों में 150 करोड़ रूपये से अधिक की गोबर खरीदी की गई है। इससे स्व-सहायता समूहों द्वारा अब तक 20 लाख क्विंटल से अधिक जैविक खाद तैयार किया जा चुका है,जिसके चलते प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है।

इससे पशुधन के संरक्षण, संवर्धन और तरक्की की राह भी खुली है।वर्मी खाद के निर्माण और विक्रय से महिला स्व-सहायता समूहों और गौठान समितियों को 143 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना, गोधन न्याय योजना, और रोका-छेका अभियान लागू कर पारंपरिक संसाधनों को पुनर्जीवित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा रहा है।

गौठानों को ग्रामीण आजीविका केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इस साल हरेली के दिन से गौठानों में 4 रूपए प्रति लीटर की दर से गो-मूत्र की खरीदी की शुरूआत की जा रही है। इससे प्रदेश में जैविक खेती और आर्थिक सशक्तिकरण के नए अध्याय की शुरूआत होगी। हरेली से मुख्यमंत्री माहातारी न्याय योजना की शुरुआत होगी। और कृषि लागत कम होगी।अफ़ज़ल ने कहा है कि परंपराओं को आधुनिक जरूरतों के अनुसार ढालना सामूहिक उत्तरदायित्व का काम है। हम सभी प्रदेशवासी अपने पारंपरिक लोक मूल्यों को सहेजते हुए गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार रूप देने के लिए सहभागी बनेगें।

“छत्तीसगढ़ 24 न्यूज़” के लिए राजनांदगांव से दीपक साहू

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