छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में स्कूल प्रबंधन का अमानवीय चेहरा उजागर – छात्र से कहा गया: तुम पढ़ने लायक नहीं”

शशिकांत सनसनी, खैरागढ़ । छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित बैसिलियन स्कूल, अमलीपारा एक बार फिर विवादों में घिर गया है। राज्य शासन द्वारा सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 1 से 10वीं तक के विद्यार्थियों को निशुल्क पुस्तकें वितरित की जाती हैं, लेकिन अगस्त प्रारंभ होने के बाद भी यहाँ के छात्र अब तक किताबों से वंचित हैं। इस संबंध में फॉरवर्ड डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर सिंह गौर ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि कक्षा 6वीं के एक छात्र और उसके परिजन जब स्कूल में पुस्तक की मांग को लेकर पहुँचे, तो प्राचार्य द्वारा अत्यंत अमानवीय और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया।

प्राचार्य द्वारा छात्र से कहा गया – “मार्केट से किताब खरीद लो या टीसी निकाल लो। तुम यहां पढ़ने लायक नहीं हो। सरकारी स्कूल में चले जाओ, वहां खाना भी मिलेगा।” यह कथन न केवल छात्र की गरिमा के विरुद्ध है, बल्कि पूरे सरकारी शिक्षा तंत्र का भी अपमान है। जब यह मामला जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) के संज्ञान में लाया गया, तो उन्होंने पुस्तक आवंटन में देरी की बात कहते हुए हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि > “माध्यमिक शिक्षा मंडल से अब तक पूरी पुस्तकें प्राप्त नहीं हुई हैं।”

प्राचार्य की दलील है कि मंडल की किताबों की गुणवत्ता ठीक नहीं, इसलिए वे निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने को वरीयता दे रहे हैं। यह निर्णय राज्य शासन की “एक पाठ्यक्रम, एक पुस्तक” नीति का सीधा उल्लंघन है। साथ ही, निजी किताबें थोपकर यह बच्चों के अभिभावकों पर आर्थिक बोझ भी डाल रहा है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और चेतावनी:

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर श्री गौर ने स्कूल प्रशासन की कड़ी निंदा की है और कहा: > “यदि बच्चों के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार जारी रहा और शिक्षा अधिकार अधिनियम का उल्लंघन होता रहा, तो फॉरवर्ड डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी आंदोलन की राह पकड़ेगी।”

शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। एक शिक्षक का कर्तव्य सिर्फ ज्ञान देना ही नहीं, बल्कि बच्चों को प्रेरित और प्रोत्साहित करना भी है। लेकिन जब एक छात्र को उसकी आर्थिक स्थिति या सवाल पूछने के कारण ‘अयोग्य’ कह दिया जाए, तो यह शिक्षा व्यवस्था की आत्मा पर गहरी चोट है। प्रशासन को चाहिए कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि किसी भी छात्र के साथ इस प्रकार का व्यवहार भविष्य में न हो।

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