गौतम कुमार बंजारे सारंगढ़

सारंगढ़ क्षेत्र के कपिस्दा में ग्रीन सस्टेबल कंपनी को आवंटित लाइम स्टोन खदान के लिए आयोजित जनसुनवाई आज प्रशासन और ग्रामीणों के आमने-सामने की जंग में बदल गई। ग्रामीणों के कड़े विरोध और बाधाओं के बीच आखिरकार जनसुनवाई निरस्त करनी पड़ी, जिसे किसान अपनी बड़ी जीत मान रहे हैं।
कपिस्दा और आसपास के पाँच प्रभावित गांवों — दौराभाटा, कपीसदा, लालाधुरवा और जोगनीपाली — में प्रस्तावित लाइमस्टोन खदान को लेकर ग्रामीणों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। जनसुनवाई के लिए प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात कर गांव को छावनी में तब्दील कर दिया था। आरोप है कि अधिकारी हर हाल में जनसुनवाई कराना चाहते थे और इसके लिए तरह–तरह के प्रयास किए जा रहे थे।

उधर ग्रामीणों ने जनसुनवाई को रोकने सड़क रोक आंदोलन शुरू कर दिया। जगह–जगह रास्ते बंद कर किसी को भी जनसुनवाई स्थल तक पहुंचने नहीं दिया गया। ग्रामीणों का कहना था—
“जब हम जमीन देना ही नहीं चाहते, तो जबरन जनसुनवाई क्यों?

गौरतलब है कि किसानों की ज़मीन से जुड़ा मामला पहले से ही न्यायालय में लंबित है, इसके बावजूद जनसुनवाई की तैयारी चलने से ग्रामीणों में आक्रोश है। किसानों का कहना है कि उनकी आपत्तियों और मांगों की कहीं कोई सुनवाई नहीं की गई।
वहीं जनसुनवाई स्थल पर स्थिति यह थी कि प्रशासन ने टेंट और माइक जैसी मूलभूत व्यवस्था तक नहीं कर रखी थी। एडीशनल कलेक्टर और पर्यावरण अधिकारी गोठान के शेड में बैठे रहे, लेकिन सुबह से शाम तक कोई भी किसान सहमति देने नहीं पहुँचा। प्रशासनिक दबाव इस बार चल नहीं सका।
ग्रामीणों की एकजुटता और विरोध के चलते अंततः जनसुनवाई को निरस्त कर दिया गया।




