रायपुर में होगा नार्को टेस्ट, डेढ़ साल पहले बालक की हत्या का खुलेगा राज !

रायपुर : खरोरा थाने में 1 साल से उलझे हत्या के केस में एक संदेही का नाकारे टेस्ट पुलिस ने रायपुर में कराया गया। पहले नाकारे टेस्ट के लिए पुलिस को संदेही, आरोपी को हैदराबाद लेकर जाना पड़ता था लेकिन जनवरी से यह सुविधा रायपुर में ही पुलिस के पास उपलब्ध हो गई है।

खरोरा थाने के हत्या के प्रकरण के बाद अब अभनपुर थाना क्षेत्र में नहर में बालक की हत्या का मामला भी इसी टेस्ट से खुलने की उम्मीद है। अभनपुर थाने ने नाकारे टेस्ट के लिए तारीख मांगी है। राइस मिल की टंकी में मिली थी गायब खलासी की लाश पुलिस सूत्रों के अनुसार खरोरा थाना क्षेत्र के सारागांव के पास मेन रोड स्थित फूड एग्रो में 1 साल पहले एक खलासी की लाश पानी की टंकी में मिली थी। ट्रक के साथ आया खलासी एका-एक फैक्ट्री कैम्पस में खड़ी गाड़ीयों से गायब हो गया था। पुलिस जांच में पता चला कि रात में उसका विवाद फैक्ट्री के गाडारों से हुआ था और मारपीट भी हुई थी। पुलिस को मौत को लेकर संदेह तो था लेकिन पीएम (PM) रिपोर्ट का इंतजार किया जाता रहा। रिपोर्ट में हत्या की बात सामने आई। पुलिस ने घटना की रात राइस मिल में मौजूद गाडारें समेत कई कर्मियों से पूछताछ की लेकिन ठोस सबूत नहीं मिले। अब संदेही का नाकारे टेस्ट करा लिया गया है। सीएसपी (CSP) वीरेन्द्र चतुर्वेदी के अनुसार टेस्ट की रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई में पुलिस को मदद मिलेगी।

डेढ़ साल पहले बालक की हत्या, अब होगा खुलासा

पुलिस सूत्रों के अनुसार अभनपुर थाना क्षेत्र में डेढ़ साल पहले बालक की लाश कुरूद थाना क्षेत्र से नहर में बहकर अभनपुर के पास पहुंची। बालक के गले में मोटी रस्सी बंधी हुआ था। गला घोंटकर हत्या करने के बाद शव को नहर में फेंकने का पता चला। पुलिस जांच में संदेही का पता चला लेकिन ठोस सबूत नहीं मिले। कई स्तरों की जांच के बाद अब इस मामले में भी संदेहियों का नाकारें टेस्ट कराने के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। एएसपी नवा रायपुर विवेक शुक्ला के अनुसार मामला पुराना है। अभी टेस्ट के लिए डेट नहीं मिली है।

दवाओं के असर में अपराधी बोल देता है सच

नाकारे टेस्ट के लिए उस व्यक्ति की सहमति जरूरी होती है, जो जांच के दायरे में होता है। टेस्ट से पहले कुछ खास दवाएं उस व्यक्ति को दी जाती है। व्यक्ति जब दवाओं के प्रभाव में होता है, जब उससे पूर्व में तैयार सवाल जांच में शामिल विशेषज्ञ करते हैं। हालांकि नाकारे टेस्ट के दौरान दिए गए बयान अदालत में स्वीकार्य नहीं हैं सिवाय कुछ परिस्थितियों के, जब अदालत को लगता है कि, मामले के कुछ तथ्य इसकी अनुमति देते हैं। रायपुर में ऐसा टेस्ट इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले में मुख्य आरोपी का कराया जा चुका है।

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