डॉ. बिजेंन्द सिन्हा जी का संपादकीय लेख “शीर्ष पर बढ़ते अपराध चिन्ताजनक”
हमारा संविधान जनता को लोकतंत्र में सुरक्षा और सम्मान के साथ जीने की सिफारिश करता है। परन्तु मौजूदा दौर में निरंतर अपराध वृद्धि को देखते हुए मूर्त रूप से दूर लगता है। वर्तमान समय में अपराध आधुनिक समाज का हिस्सा बनते जा रहे हैं। गौरतलब है कि दिन- प्रतिदिन अपराध व हिंसा क्यों बढ़ते जा रहा है। समय के साथ अपराध के स्वरुप में बदलाव आते रहते हैं ।हत्या, यौन हिंसा, ठगी, अपहरण, मानव तस्करी, नफरतजनित हत्याएँ आदि अपराध आए दिन देखे जा सकते हैं।
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