*जल हैं तो कल है -कल के लिए जल संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है* *स्वच्छ जल-जलीय जीवों के साथ सभी जीवों के लिए आवश्यक है* *जिस जल में जलीय जीव नहीं रह सकते वह जल इंसान और भगवान के लिए भी अनुपयोगी* *नदी किनारे खुबसूरत विश्रामगृह को देखकर बच्चों ने कहा – जलीय जीवों के भी विश्राम के लिए हो खुबसूरत जल स्रोत*
पाटन(संतोष देवांगन) : शासकीय प्राथमिक शाला कौही में समर क्लास के चौथे दिवस सोमवार 7 अप्रैल को *जलीय जीव* के बारे में बच्चों ने जल के विभिन्न स्रोतों के पास जाकर उनके संबंध में जानकारी प्राप्त किए। इस दौरान बच्चों ने देखा कि तालाब के किनारे तथा तालाब में आने वाले पानी के रास्ते गंदगी होने के कारण तालाब की पानी गंदा लगा। बावजूद इसके लोग इस पानी में नहाने और जलीय जीव इसमें रहने मजबूर हैं। जिससे भविष्य में सभी के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की संभावना है।
*प्रदूषित जल जलीय जीवों सहित इंसान और भगवन के लिए अनुपयोगी*
वही तालाब के पश्चात नदी के पास पहुंचे बच्चों को नदी का पानी तालाब के अपेक्षा ज्यादा साफ लगा। जिसमें तैरते हुए मछली व अन्य जीव दिखाई दे रहे थे। इस पर शिक्षको ने बच्चों को बताया कि बहते हुए नदी का जल अपनी सफाई खुद करते रहता है। तथा पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बना होता हैं। और पानी में प्रदुषण से आक्सीजन की मात्रा कम होने से जलीय जीवों सहित इंसान के लिए भी अनुपयोगी है। आवश्यकता इस बात कि है कि नदी और तालाब में आने वाले पानी के रास्ते गली और नाली की सफाई और कचड़े का उचित निपटान करें।
*बच्चों ने जाना “साफ जल की महत्ता” को * – इस दौरान भगवान शिव जी का जलाभिषेक करने नदी का पानी लेने आएं व्यक्ति को देखकर बच्चों ने साफ जल की महत्ता को जाना कि भगवान और इंसान के साथ जलीय जीव के लिए आवश्यक है। इसके साथ ही नदी पर बने तटबंध को भूमि कटाव से बचाव व बाढ़ नियंत्रण में मददगार करार दिया।
साथ ही बने स्टाप डेम के महत्व को रेखांकित करते हुए शिक्षकों ने बताया कि नदी -नाले पर बने स्टाप डेम से भूमिगत जल स्तर में सुधार हुआ है। इसके अलावा जलीय जीवों के विकास और संवर्धन पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखाई देता हैं। सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए भविष्य में और अधिक जल संरक्षण के लिए पहल करने की आवश्यकता महसूस किया गया।
*बच्चों ने किया विश्रामगृह का भी अवलोकन* – नदी से वापसी पर खारून नदी के किनारे मंदिर परिसर में बने सुंदर विश्रामगृह का भी बच्चों ने अवलोकन कर कहा – जलीय जीवों के विश्राम के लिए भी बने सुंदर जल स्रोत। बच्चों ने जल स्रोत में मछली मेंढक कछुआ सांप केकड़ा व अन्य जीवों को देखा।




