डबल इंजन सरकार की खुली विकास की पोल—ग्रामीणों ने खुद बनाया बांस का पुल

रिपोर्ट – शशिकांत सनसनी मोहला मानपुर छत्तीसगढ़

मोहला-मानपुर (छत्तीसगढ़)। नक्सल प्रभावित आदिवासी बाहुल्य मानपुर ब्लॉक के खुरसेखुर्द और बसेली गांव के ग्रामीण शासन-प्रशासन से पुल निर्माण की गुहार लगाते-लगाते थक चुके थे ग्रामीण। बरसात में पुल पर पानी भर जाने से स्कूली बच्चों का स्कूल जाना रुक जाता और ग्रामीणों का आना-जाना मुश्किल हो जाता था।

कई बार जनप्रतिनिधियों को आवेदन देने के बावजूद आज तक सरकार की ओर से पुल का निर्माण नहीं हुआ। मजबूर होकर ग्रामीणों ने लगभग तीन सप्ताह पहले सामूहिक बैठक कर स्वयं पुल बनाने का निर्णय लिया।

बांस-बल्लियों से बना देशी पुल
ग्रामीणों ने मिलकर बांस और मोटी बल्लियों से पैदल और साइकिल सवारों के लिए पुल तैयार किया। लेकिन हल्के चार पहिया वाहनों की आवाजाही संभव नहीं थी। इसके लिए ग्रामीणों ने मुरूम की परत डाल दी, जिससे छोटे वाहन भी गुजरने लगे।

पुल तैयार होते ही ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई कि अब वे बिना सरकारी मदद के भी गांव के बाहर आसानी से आ-जा सकेंगे।
सरकार से नाराज़गी
ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि तो आते हैं, लेकिन उनकी मूल समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं देता। कई बार शिकायत और मांग के बावजूद पुल का निर्माण न होना उनकी परेशानी बढ़ा रहा था। अब उन्होंने तय कर लिया है कि सरकारी सहयोग का इंतजार नहीं करेंगे और अपनी समस्याओं का समाधान खुद करेंगे।

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