परमाणु हथियारों के दावे को नकार रहा ईरान, बाइडेन ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रफ्तार को करना चाहते हैं कम
वैश्विक शक्तियों के साथ परमाणु कार्यक्रम को लेकर जारी बातचीत के बीच ईरान की ओर से जल्द ही एक अंतरिक्ष अभियान की शुरुआत किए जाने की संभावना जताई गई है. एक विशेषज्ञ और सेटेलाइट तस्वीरों के आधार पर ये अनुमान जताया गया है. ईरान के इमाम खुमैनी अंतरिक्ष केंद्र में संभावित प्रक्षेपण से जुड़ी जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब ईरान की सरकारी मीडिया ने इस्लामिक रिपब्लिक के असैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए आगामी योजना वाले उपग्रह प्रक्षेपणों की लिस्ट पेश की है।
बतादे की ईरान का अर्धसैनिक रिवोल्यूशनरी गार्ड अपना समानांतर कार्यक्रम चलाता है, जिसने पिछले साल एक सेटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया था. तेहरान के कार्यक्रमों पर नजर रखने वाले मिडलबरी अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र से जुड़े विशेषज्ञ जेफरी लेविस ने कहा कि ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से जुड़े लोग प्रयासरत हैं और शायद उनके दिमाग में कुछ नया चल रहा है।
वहीँ जेफरी लुईस ने कहा कि जर्मनी के नए विदेश मंत्री ने चेतावनी दी है कि इस समय हमारे लिए समय समाप्त हो रहा है, लेकिन ये सब ईरान के कट्टर राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की ओर से अंतरिक्ष पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के लिए फिट बैठता है. ईरान के पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी, जिन्होंने परमाणु समझौते को कार्यालय से बाहर कर दिया था, लॉन्च के साथ वार्ता को अलग-थलग करने के बारे में चिंताएं कि अमेरिका ने तेहरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को सहायता प्रदान करने का दावा किया है।
लुईस ने कहा कि वो अंडे के छिलके पर नहीं चल रहे हैं. साथ ही कहा कि मुझे लगता है कि रायसी के लोगों के दिमाग में एक नया संतुलन है. ईरानी राज्य मीडिया ने स्पेसपोर्ट पर गतिविधि को स्वीकार नहीं किया और संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया. वहीं अमेरिकी सेना, जो अंतरिक्ष प्रक्षेपणों को ट्रैक करती है, उसने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।
ईरान लगातार इस बात को नकारता रहा है कि वो परमाणु हथियार बनाना चाहता है. वो बार-बार यही कह रहा है कि वो शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु तकनीक में मास्टर होना चाहता है. पश्चिमी देश ईरान के परमाणु हथियार बनाने की कोशिशों को लेकर चिंतित हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन 2015 में हुए परमाणु समझौते को फिर से लागू करना चाहते हैं. बाइडेन ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रफ्तार को कम करना चाहते हैं.




