Cg24News-R :- गाँव,राज्य व देश का भविष्य पूरी तरह मतदाता की अभिनव चेतना पर निर्भर करता है।मतदान के सदुपयोग व दुरूपयोग से ही गांव की प्रगति व अवनति की आधारशिला रखी जाती है। सामाजिक अनुशासन, न्याय नैतिकता और हर व्यक्ति के उत्थान की सुरक्षा ही लोकतंत्र का मूल आधार है। उन्नति के साधन हर व्यक्ति को मिले यह लोकतंत्र में ही सम्भव है। परन्तु वर्तमान समय में जातिवाद, परिवारवाद, धन-बल, बाहुबल और विभिन्न अवांछनीय हथकण्डे के कारण लोकतंत्र बाधित हो रहा है।वर्तमान समय में पूरा समाज आदर्श नेतृत्व विहीन लगता है। लोकतंत्र की व्यवस्था एक उपहास मात्र बनाती ज रही है। लोकतंत्र इन अव्यवस्थाओं के कुचक्र में घिरा हुआ है लगता है। ऐसी राजनैतिक सफलता को सच्ची सफलता नहीं कही जा सकती। जातिवाद जैसे भावनात्मक मुद्दे, शराब व अन्य नशीले पदार्थ चुनावी संघर्ष में कटुता व वैमनस्यता व नैतिक मूल्यों की अवहेलना आदि गाँव की अस्मिता के लिए खतरा बनी हुई है। गाँव अनेक जातियों वर्गों की सम्मिलित ईकाई है इसलिए यहाँ अधिनायकवाद न हो ।मौजूदा दौर के चुनाव में धन-बल और अन्य अवांछनीय हथकण्डे हावी रहता है। इसीलिए व्यवस्था की कसौटी पर लोकतंत्र खरा नहीं उतरता है।विभिन्न अवांछनीय हथकण्डे अब अधिक दिनों तक नहीं चलने वाला है। जनता सब कुछ देख और समझ रही है। लोकतंत्र में वोटों के आधार पर सारी गतिविधियाँ संचालित होने लगी है। लोकहित की बात पीछे छुटती जा रही है। चुनाव में प्रलोभन आम बात है। गाँव व देश के हित में प्रलोभनों ,परिवारवाद,धर्म व जातिवाद जैसे भावनात्मक मुद्दों से ऊपर उठकर मत का उपयोग किया जाना चाहिए। प्रत्याशी का मूल्यांकन उसके जाति धर्म सम्प्रदाय आदि के आधार पर नहीं बल्कि उनके गुण योग्यता ईमानदारी और सुयोग्य व्यक्तित्व के आधार पर होना चाहिए। मतदाताओं का कर्तव्य व उत्तरदायित्व है कि वह अपने विवेक का इस्तेमाल करें।अपने विवेक से ईमानदार सुयोग्य व जनहित के लिए प्रतिबद्ध व्यक्ति को ही मतदान करना बेहतर है। तभी लोकतंत्र की रक्षा सम्भव है।
शराब जैसे हानिकारक चीजें का सहारा, पक्षपात पूर्ण आश्वासन, अपूरणीय वादे जैसी गतिविधियाँ निष्पक्ष व शान्ति पूर्ण चुनाव में बाधक है। ऐसी गतिविधियां नहीं होनी चाहिए। चुनाव में ऐसे हथकण्डे व विसंगतियों के फलस्वरूप ही सुव्यवस्था कायम नहीं होता। परिणाम स्वरूप समस्याएं बनीं रहती हैं। ऐसी विसंगतियों के फलस्वरूप ही लोकतंत्र असफल रहता है। लोकतंत्र की सफलता ऐसी सशक्त व्यवस्था पर निर्भर करती है जो जनता के हितों की रक्षा कर सके। लोकतंत्र की सफलता का आधार चुनाव है। इसलिए लोकतंत्र में मतदाता और वोट का महत्व सर्वाधिक है। गाँव व देश को अच्छे भविष्य की ओर ले जाने का निर्णायक अधिकार भी जनता के हाथ में है व पतन के गर्त में ले जाने का अधिकार भी। यदि जनता अपना वोट समझदारी व उत्तरदायित्व से नहीं देती हैं तो लोकतंत्र में विसंगतियों पैदा हो सकती हैं। जनता का हित किसके हाथ में सुरक्षित रह सकता है इसका ख्याल न रखने से ही लोकतंत्र असफल रहता है । गाँव व देश का भविष्य मतदाताओं पर निर्भर है। मतदाताओंके परिष्कृत दृष्टिकोण की जरूरत है। वोट किसी को भी दे देने का कोई मतलब नही है। इसलिए वोट के महत्व को समझना चाहिए। उन्हें अपना वोट ऐसे उम्मीद वार को देना चाहिए जो गाँव,समाज, राज्य व देश का हित साधन कर सके ।जो न्याय प्रिय ईमानदार निःलोभी साफ-व्यक्तित्व वाला व जनसेवी हो ।ऐसे व्यक्ति को ही चुनना चाहिए चाहे वह किसी भी जाति धर्म व दल का हो जनता के वोट पर ही लोकतंत्र सफलता टिकी हुई है, वोट का उपयोग बहुत ही सोच समझकर गाँव के हित में करना चाहिए ।
आपका सेवाभावी डॉ. बिजेंद सिन्हा