एकाउंटेट को सीईओ बनाकर गलत परंपरा की शुरूआत, नेता के क्रियाकलाप से पार्टी की छवि हो रही खराब

राजनांदगांव से दीपक साहू की रिपोर्ट 
राजनांदगांव :  प्रदेश की एक समय कद्दावर नेता रहे पूर्व मंत्री गीता देवी से राजनीति का एबीसीडी सीखने वाले एक नेता परिपक्व नहीं हो पाये है। राजनीति में परिपक्वता व व्यवहार काम आता है। आज जिस प्रकार से जिलाध्यक्ष पदम कोठारी की कार्य शैली को लेकर सवाल उठा रहे है। आज भी लोग पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष विनोद गोस्वामी के अनुभव और परिपक्व राजनीति की आज भी तारीफ करते हैं। अजीत जोगी के समय पत्रकारों के सहयोग के चलते भाजपा राज्य में उभरकर सामने आये यह नेता ने राजनीति की शुरुआत की और शराब लाबी व कुछ मामलो में आंदोलन कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई परंतु जैसे ही इस नेता का जिलाध्यक्ष कांग्रेस के रूप में मनोनयन हुआ। उसके बाद से उसके क्रियाकलाप को लेकर उंगलियां उठने लगी थी। यह समय भी भाजपा राज का था।                  शेष 👇 नीचे पढ़े

*▶️ अवैध शराब और अन्य विवादित मामले को लेकर उठी उंगलियां : *  जिस पर नेता के आक्रामक तेवर को नहीं होने को लेकर भी पार्टी के नेता सवाल उठाते थे ऐसे समय संघर्षशील कांग्रेस सिपाही छन्नी साहू, क्रांति बंजारे, मदन साहू, आदि नेता भाजपा राज में खुलकर प्रशासन को विभिन्न मुद्दे पर आवाज उठाकर ज्ञापन सौपते थे। ऐसे समय नेता घर में आराम करते थे । उस समय यह भी बात उठती थी कि कहीं ना कहीं भाजपा नेताओं से उनका कहीं ना कहीं तालमेल है। जिला अध्यक्ष के रूप में उनका यह कार्यकाल कांग्रेसी सरकार बनने के दौरान भी रहा पर अवैध शराब और अन्य विवादित मामले को लेकर उन पर उंगलियां उठी और विधायक लोग उनकी मनमानी, तानाशाही, अभद्र व्यवहार के चलते खुलकर विरोध करते रहे और नौबत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को अवगत करा कर धरना देते हुए हटाने में सफल रहे।        शेष 👇 नीचे पढ़े

*▶️ राजनीति में परिपक्वता और कमिटमेंट का अपना महत्व : *  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनको भले महत्त्व देते हो, परंतु उनकी राजनीति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। उनमें चर्चा यह भी है कि यह नेता अपने कमिटमेट से मुकर बचकाना काम करते है। राजनीति में परिपक्वता और कमिटमेंट का अपना महत्व होता है। जिसको वह पूरा करने में असफल साबित हो रहे हैं। अभी लगभग छह माह पूर्व राइस मिल एसोसिएशन द्वारा हर जिले में प्रभारी मंत्री को बुलाकर राइस मिल एसोसिएशन के साथ कार्यक्रम करने का प्लानिंग की गई थी परंतु वह स्वयं एक राइस मिल मिलर होने के खबर के चलते स्वयं ही अतिथि बनकर राइस मिलों का हित खुद कराने की बात करते हुए जिले में अपनी ताकत बताने के खेल के चलते अतिथि बन गए थे जो पार्टी लाईन के विपरीत रहा।      शेष 👇 नीचे पढ़े

*▶️ सहकारी बैंक में किसान अपने भुगतान को लेकर भटकते रहते है : *  मुख्यमंत्री ने जिला सहकारी बैंक के महत्वपूर्ण पद पर इस नेता को तवज्जो दी परंतु जिला सहकारी बैंक में एक साहू और एक कलाकार आदमी मेस के चलते बहुत से हस्तक्षेप बैंक में हुए जिसमें तबादले से लेकर सोसायटी में खेल पानी होने की भी चर्चा है। आज जिला सहकारी बैंक में किसान अपने भुगतान को लेकर भटकते रहते हैं और जिला सहकारी बैंक के स्टाफ नियम कायदा बताकर उन्हें परेशान करते रहते हैं। इन सब पर नेता का कोई कंट्रोल नहीं रह गया है। आज समिति प्रबंधकों को भी वर्ष 20- 21 से लेकर 21-22,22-23 का बोनस नहीं मिल पाया है। समिति प्रबंधक को सूखत के साथ वेतन का संकट झेलना रहा है। ऐसे में भाईजान के कार्यकाल पर चर्चा शुरू हो गयी है।      शेष 👇 नीचे पढ़े

*▶️ मेस व साहू के गलत हस्तक्षेप से सन्देश सही नही : *     मेष नाम का यह आदमी उनके इर्द-गिर्द घूम कर और लंबा चौड़ा खेलकर राशि वसूलता तो बडी है पर पत्रकारों को विज्ञापन की राशि की कटौती कर अपना बैंक बैलेंस बढ़ा रहा हैं जिसकी शिकायत पर भी नेता द्वारा ध्यान नहीं देने से बहुत से लोगों में नाराजगी है। भाजपा राज में सचिन बघेल और शशिकांत द्विवेदी के मुंह लगे सुनील वर्मा को कांग्रेस राज में लंबे समय तक भाईजान ने तवज्जो दी। जिसको लेकर भी कई कांग्रेसियों ने आपत्ति की थी फिर उसके बाद भी उसे हर प्रकार के कार्य करने की छूट दी गई। इस काम करने वाली राज्य की लोकप्रिय कांग्रेस सरकार को सीईओ द्वारा काम नही कर बदनाम करने पर एक कलेक्टर ने उसे अपने चेम्बर मे बुलाकर जमकर फटकार लगाते हुए इतनी डांट पिलाई थी कि सीईओ का चेहरा उतर गया था।        शेष 👇 नीचे पढ़े

*▶️ बैंक के लेखापाल को सीईओ बनाकर एक गलत परंपरा की शुरुआत : *  इस बात की खबर नेता को भी पता लगी थी फिर भी उसकी पैरवी को लेकर अन्य नेता नाराज होने की चर्चा रही। जिसके बाद सोढी दुर्ग से सीईओ के रुप में पदस्थ किए गए और वह अच्छा काम कर रहे थे। किसान और बैंक हित को लेकर उनका दृष्टिकोण स्पष्ट था उसके बावजूद उन्हें रवाना कर बैंक के लेखापाल जो वरिष्ठ बाबू होता है। उसको सीईओ बनाकर एक गलत परंपरा की शुरुआत नेता ने कर दी है। इससे बैंक की साख के साथ आने वाले समय में सरकार की छवि पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है। वैसे भी जिला सहकारी बैंक की छवि को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत चिंतित रहे है। लेकिन जिला सहकारी बैंक के इस नेता को लगता है कि किसान व बैक हित एक तरफ हमें तो भैया गांधीजी अच्छे लगते है।        शेष 👇 नीचे पढ़े

*▶️ नेता के क्रियाकलाप को लेकर पार्टी की छवि हो रही खराब : *  इस बात की भी चर्चा है कि मेश और साहू का जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों के बीच हस्तक्षेप क्यों हो रहा है और हस्तक्षेप को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इनको किसने इतनी छूट क्यों दी है। मेस विभिन्न प्रकार के गुणाभाग में लगा रहता है और साहू महिला समूह का प्रतिनिधित्व करते हुए जिला सहकारी बैंक से बैंक को लंबा चौड़ा लोन दिलाता है। रिटायर होने के बाद भी आज भी उसकी बैक में सक्रियता नियमित कर्मचारी के रूप में सहकारी दफ्तर में देखी जा सकती है।        शेष 👇 नीचे पढ़े

 

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