राजनांदगांव : राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत विकासखंड राजनांदगांव, डोंगरगांव एवं डोंगरगढ़ के कृषि सखियों को कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. गुंजन झा ने कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभ के बारे में बताया।⬇️शेष नीचे⬇️
उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से अवयव का उपयोग कर वातावरण एवं मृदा की उपजाऊ क्षमता, मृदा में उपस्थित विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव एवं देशी केचुओं की संख्या में वृद्धि होती है। पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाने में मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवों का बहुत महत्व है। इससे प्राप्त होने वाले उत्पाद रासायनिक मुक्त होने से मनुष्य के स्वास्थ्य भी सेहतमंद रहता है।⬇️शेष नीचे⬇️
केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक श्रीमती अंजली घृतलहरे ने कृषि में बीजों के उपचार के लिए बीजामृत एवं मृदा में पोषक तत्व एवं उर्वरकता बढ़ाने के लिए घनजीवामृत व खड़ी फसलों में पोषक तत्व के छिड़काव के लिए जीवामृत बनाने व फसलों के विभिन्न अवधि के अनुसार उपयोग करने की विधि के बारे में बताया। प्रक्षेत्र प्रबंधक श्री आशीष गौरव शुक्ला द्वारा खेती में कीड़े बीमारी से बचाव के लिए निमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नि अस्त्र व मठा से उत्पाद बनाने संपूर्ण विधि एवं उपयोग के बारे में जानकारी दी गई।⬇️शेष नीचे⬇️
कृषि मौसम वैज्ञानिक श्रीमती सुरभि जैन द्वारा मृदा की नमी एवं खरपतवार के नियंत्रण के लिए पैरा व मिट्टी के पलवार को उपयोग करने के बारे में बताया। साथ ही साथ फलदार वृक्षों में नमी को बनाये रखने वापसा के बारे में बताया गया। कृषि सखियों को कृषि विज्ञान केन्द्र प्रक्षेत्र का भ्रमण भी कराया गया।