मानसून की अमृत बूंदों के स्वागत के लिए हमारे नरवा स्ट्रक्चर तैयार, साढ़े पांच हजार स्ट्रक्चर के माध्यम से जलस्तर पांच इंच तक बढ़ने की उम्मीद
नरवा के दूसरे चरण के काम लगभग पूरे, पहले चरण में पांच से छह इंच जलस्तर बढ़ा था इस बार भी उतना ही जलस्तर बढ़ने की बूंद
पंद्रह हजार श्रमिकों की मेहनत लाएगी रंग
दुर्ग 15 जून 2022/ मानसून की अमृत बूंदों के स्वागत के लिए हमारे नाले तैयार हैं। इस बार दक्षिण की ओर से आ रहे इन अतिथि बूंदों को हमारे नाले देर तक रोक कर रखेंगे और धरती का जलस्तर पांच से छह इंच बढ़ने की उम्मीद है।
लगभग पंद्रह हजार श्रमिकों ने सात महीने की कड़ी मेहनत से 196 नाले के 68 डीपीआर को पूरा करने की दिशा में कार्य किया है और अब काम समाप्ति की ओर है। अगले एक-दो दिन में सभी नालों में काम पूरा हो जाएगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला पंचायत सीईओ श्री अश्विनी देवांगन ने बताया कि पहले चरण में नरवा के कार्यों से पांच इंच से छह इंच तक जलस्तर नाले के नजदीकी गांवों में बढ़ा था।
इस बार साढ़े पांच हजार स्ट्रक्चर तैयार किये गये हैं और 200 स्ट्रक्चर का रिपेयर किया गया है। इनके माध्यम से जलसंरक्षण की बड़ी पहल की गई है। श्री देवांगन ने बताया कि कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के निर्देश पर इस चरण में नालों के भीतर स्ट्रक्चर बनाने पर कार्य किया गया है।
पिछले चरण में कार्य नालों के किनारे पर तथा डिसेल्टिंग को लेकर किया गया था। इस चरण में यह कार्य नालों के बीच किया गया है। जिले के प्रमुख नाले जैसे गजरा, खुड़मुड़ी, दैमार, लुमती आदि नालों पर भी कार्य किया गया है। इससे व्यापक रूप से जलसंरक्षण में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने भी बीते दिनों खुड़मुड़ी नाले में हो रहे नरवा कार्य देखे थे और अधिकारियों को कार्य जल्द पूरा करने निर्देश दिये थे।
ऐसे स्ट्रक्चर जो धीमा करेंगे जलप्रवाह
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की नरवा योजना मुख्यतः इस वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित है कि पानी का वेग कम होने से धरती का रिचार्ज तेजी से होता है क्योंकि धरती को जल सोखने के लिए अधिक समय मिलता है। अक्सर बरसाती नालों में जितने तेजी से पानी चढ़ता है उतने ही तेजी से उतर भी जाता है।
इन स्ट्रक्चर के बन जाने से पानी का वेग बाधित होगा और सतत रूप से बाधित करने वाले स्ट्रक्चर बनने की वजह से हर जगह यह धीमे धीमे बहते भूमिगत जल को रिचार्ज करता जाएगा। खास बात यह है कि इसके लिए स्ट्रक्चर नाले के भीतर ही बनाये जाते हैं जिससे जलसंरक्षण के लिए अतिरिक्त भूमि में काम करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
दो बारिश में और भी प्रभावी परिणाम
जब नरवा ट्रीटमेंट होता है तो पहले साल में कुछ बेहतर नतीजे आते हैं और अगले साल और भी बेहतर नतीजा आता है। इस तरह क्रमशः भूमिगत जल का रिचार्ज बढ़ जाता है। अतएव इस साल और भी जल रिचार्ज होने की उम्मीद है। ऐसी आशा है कि मानसून अच्छा रहा तो जलस्तर में पांच इंच की वृद्धि होगी जिससे रबी फसल के लिए भी भरपूर पानी किसानों को मिल सकेगा।