तालाब और नाला से पानी लेन को मजबूर हुए किसान, सूखती फसल को बचाने तरह-तरह के जतन कर रहे किसान

(निर्मल पटेल) डाही : बारिश की कमी से खेतों में धान की फसल सूखकर मरने लगी है। फसल बचाने किसान तरह-तरह के जतन कर रहे हैं। तालाब और नाला-डबरी का पानी किराए के डीजल पंप और पाइप से खींचकर फसल को सिंचित करने में लगे हैं। जिसके लिए उन्हें अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ रही है। भखारा तहसील के अंतर्गत ग्राम डाही में धान की फसल का बुरा हाल है।

बोर से सिंचाई करने वाले किसनों की ही फसल ठीक है। डाही क्षेत्र के अधिकांश किसान मानसून पर आधारित या नहर पानी के भरोसे खेती करते हैं। खेतों में धान फसल को सूखते देखकर किसान रुआंसे हो गए हैं। फसल के लिए पानी की व्यवस्था करने पूरी ताकत लगा दिया है। भखारा तहसील के ग्राम डाही में पुरी के नहर नाली से लगे अंतिम छोर पर डाही में खेतों की फसल पानी के बिना सूखने लगी है।

ग्राम के किसान गांव की तालाब को फोड़कर और नाला-डबरी से पानी खींचकर फसल बचाने में लगे हैं। ग्राम पंचायत डाही के छोटे किसान साहूकार ठाकुर ने बताया कि 50 डिसमिल खेत की फसल सूख रही है। जिसे बचाने नाला की पानी से सिंचाई कर रहा है।300 रुपये प्रति घंटा के किराए पर डीजल पंप और100 रुपये प्रतिदिन के किराए पर पाइप लेकर खेतों तक पानी पहुंचा रहा है।

साहूकार ठाकुर बताया कि खेत को पूरी तरह सिंचित करने से कम से कम 6 – 7 घंटा मोटर पंप चलाना होगा।नाला से खेत तक पानी लाने 6 00 फिट लंबा पाइप लगाना पड़ा है।नाला-डबरी के पानी से ही विजय ठाकुर सहित आदि ने सिंचाई कर अपनी फसल को सूखने से बचाया।

कुछ घंटे में डाही का शीतला व बड़े तालाब खाली

प्राप्त जानकारी के अनुसार, भाखारा तहसील के ग्राम डाही के शीतला व बड़े तालाब से कुछ घंटों में ही पानी खाली हो गया। गांव से लगा शीतला व बड़े तालाब में बारिश का पानी जमा था। इस तालाब से पानी लेकर अपनी फसल बचाने गांव के किसानों मे होड़ मच गई। तालाब का पानी फोड़कर खेत तक ले जाने 5 – 6 मजदूर लगाए गए हैं । तालाब में निस्तारी के लिए पानी बचा है।जिसे पुरे गांववासी निस्तारी करते हैं।

सिंचाई खर्च बढ़ने से लागत बढ़ने लगी

किसान फसल बचाने इधर-उधर से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। कोई सिंचाई पंप वाले किसान से पानी खरीद रहा है तो कोई आसपास के तालाब और नाला-डबरी में डीजल पंप लगाकर अपनी खींचकर धान फसल की सिंचाई करने में लगा है। डाही सहित आसपास के गांवों में एक बार की सिंचाई के किसानों को सिंचाई सुविधा वाले किसानों को 500 से 1000 रुपये तक चुकाना पड़ रहा है। डीजल पंप 300 रुपये घंटे और लंबी पाइप 100 प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर लेकर पानी खींचना पड़ रहा है। सिंचाई पानी की व्यवस्था में खर्च के कारण खरीफ फसल की लागत बढ़ने लगी है।

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