* आईआईटी भिलाई ने औद्योगिक सल्फर कचरे से स्वच्छ जल बनाने की तकनीक विकसित की…
* आईआईटी भिलाई की बड़ी खोज: सल्फर वेस्ट से बनेगा स्वच्छ जल…
* औद्योगिक कचरे से जल शुद्धिकरण तक—आईआईटी भिलाई ने दिखाया नया रास्ता…
दुर्ग : औद्योगिक सल्फर वेस्ट को उपयोगी संसाधन में बदलते हुए आईआईटी भिलाई के वैज्ञानिकों ने एक धातु-रहित एवं पर्यावरण-अनुकूल पॉलिमर तकनीक विकसित की है, जो दूषित जल से हानिकारक हाइड्रोफोबिक प्रदूषकों को प्रभावी ढंग से हटाने में सक्षम है।
शोधकर्ताओं भनेन्द्र साहू, सुदीप्त पाल, प्रियंक सिन्हा और डॉ. संजीब बनर्जी की टीम ने सल्फर वेस्ट को सल्फर-डॉट्स (एस-डॉट्स) में परिवर्तित करने की विधि विकसित की है, जो स्मार्ट पॉलिमर निर्माण में हरित फोटोकैटलिस्ट का कार्य करते हैं।
इनसे बने मल्टी-आर्म स्टार पॉलिमर नैनोस्तर पर स्पंज की तरह प्रदूषकों को बाँधकर जल को शुद्ध करते हैं। परीक्षणों में इन पॉलिमरों ने डाई, कीटनाशक व तेल अवशेष जैसे प्रदूषकों का 80% से अधिक निष्कासन किया।
यह तकनीक औद्योगिक सल्फर वेस्ट के सुरक्षित प्रबंधन के साथ-साथ जल प्रदूषण की दोहरी समस्या का समाधान देती है और जल जीवन मिशन सहित पर्यावरण पुनर्स्थापन अभियानों को मजबूती प्रदान कर सकती है।
डॉ. बनर्जी के अनुसार, “यह तकनीक कचरे को उपयोगी उत्प्रेरक और फिर जल-शोधन सामग्री में बदलकर पूर्ण सर्कुलर समाधान प्रदान करती है।”




