रतनपुर अतिक्रमण विवाद में बड़ा खुलासा, ‘करीमन’ के खिलाफ अतिक्रमक का बयान

रतनपुर अतिक्रमण विवाद में बड़ा खुलासा, ‘करीमन’ के खिलाफ अतिक्रमक का बयान

महेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के ग्राम रतनपुर में वनभूमि से अतिक्रमण हटाए जाने के मामले में एक नया और सनसनीखेज मोड़ आ गया है। इस कार्रवाई के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और अन्य नेताओं द्वारा ‘पट्टेधारियों के मकान तोड़ने’ का जो आरोप लगाया जा रहा था, वह अब सवालों के घेरे में आ गया है।

वन विभाग द्वारा हटाए गए एक अतिक्रमक रामप्रसाद बलराज ने खुद बयान दिया है कि यह वनभूमि उन्हें ‘करीमन’ नामक व्यक्ति ने बेची थी। यह ‘करीमन’ वही व्यक्ति है जिसके नाम का पट्टा दिखाकर कांग्रेस नेता यह दावा कर रहे थे कि प्रशासन ने वैध पट्टे वाले गरीबों के घर तोड़े हैं।

 

*दस्तावेजी प्रमाण: अतिक्रमक का लिखित बयान*

 

उपलब्ध दस्तावेजी बयान के अनुसार, अतिक्रमक रामप्रसाद ने कहा है कि उन्होंने डेढ़ माह पूर्व रामबाग चौक के पास काम करने के दौरान करीमन नामक व्यक्ति से मुलाकात की। रामप्रसाद ने अपने बयान में आगे कहा है कि करीमन ने उन्हें एक पट्टा दिखाकर दावा किया कि यह वनभूमि का पट्टा है और इसे बेचने की बात की।

 

रामप्रसाद बलराज के बयान के अनुसार: “करीमन को 50,000 रुपये नकद पेश दिया गया। इसके बाद करीमन ने उन्हें उस वनभूमि पर कब्जा करने को कहा, जिसके बाद रामप्रसाद ने खसरा क्रमांक RF 635 (रकबा 25 डिसमिल) पर पक्का मकान निर्मित कराना शुरू किया।” रामप्रसाद ने यह बयान वन परिक्षेत्र अधिकारी, लक्ष्मण परिक्षेत्र रक्षक, एवं पंचों के समक्ष दिया है।

 

यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि अतिक्रमणकारी को यह जमीन करीमन ने बेची थी, और उसने पचास हजार रुपये देकर यह कब्ज़ा किया था।

 

 *पट्टे और ज़मीन की विसंगति: राजस्व बनाम वनभूमि*

 

प्रशासनिक सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस नेताओं द्वारा दिखाया जा रहा ‘करीमन’ के नाम का पट्टा दरअसल राजस्व वनभूमि का है और उसमें एक विशिष्ट खसरा क्रमांक अंकित है।

राजस्व वनभूमि (Revenue Forest Land): खसरा क्रमांक अंकित होना दर्शाता है कि यह पट्टा राजस्व रिकॉर्ड की जमीन से संबंधित हो सकता है।

 

अतिक्रमण स्थल: लेकिन, अतिक्रमण उस स्थान से हटाया गया है जो स्पष्ट रूप से वृक्षारोपण के लिए आरक्षित वनभूमि है।

 

कानूनी स्थिति यह है कि वनभूमि (Forest Land) की खरीदी-बिक्री कानूनन संभव नहीं है। ऐसे में, करीमन द्वारा पट्टे का हवाला देकर वनभूमि बेचना स्पष्ट रूप से एक अवैध कृत्य है, और कांग्रेस नेताओं द्वारा उस पट्टे को ‘वैध’ बताकर सरकार पर आरोप लगाना अब संदेह के घेरे में आ गया है।

 

 *कानूनी कार्रवाई: नोटिस के बाद हटाया गया अतिक्रमण*

 

वन विभाग ने पुष्टि की है कि सभी अतिक्रमकों को निर्धारित कानूनी प्रक्रिया के तहत नोटिस जारी करने के बाद ही, वृक्षारोपण के लिए आरक्षित वनभूमि से हटाया गया है। यह कार्रवाई वन संरक्षण अधिनियम के तहत अवैध कब्जों को हटाने के लिए की गई।

 

 *निष्कर्ष: जांच के दायरे में ‘करीमन’ और कांग्रेस के आरोप*

 

रामप्रसाद बलराज के इस लिखित बयान और पट्टे तथा अतिक्रमण स्थल की जमीन की विसंगति ने मामले की दिशा बदल दी है। अब सभी की निगाहें ‘करीमन’ पर टिकी हैं, जिसने कथित तौर पर वनभूमि बेचने का अवैध कार्य किया। साथ ही, कांग्रेस के उन नेताओं पर भी सवाल उठ रहे हैं जिन्होंने बिना जमीन की कानूनी स्थिति की पूरी जानकारी लिए, इस कार्रवाई को गरीब विरोधी बताकर राजनीतिक रंग दिया।

क्या करीमन पर अवैध बिक्री के लिए कानूनी कार्रवाई होगी और कांग्रेस इस नए खुलासे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी? मामले में आगे की जांच जारी है।

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