शशिकांत सनसनी छत्तीसगढ़

फॉरवर्ड डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर सिंह ने राजधानी रायपुर में एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कृषि विभाग के सचिवालय, संचालनालय, संभागीय संयुक्त संचालक तथा उप-संचालकों की संलिप्तता और संरक्षण में अवैध कंपनियों द्वारा फर्जी कृषि उत्पादों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है।
सिंह के अनुसार इन नकली उत्पादों के कारण किसानों की धान उपज में भारी कमी हुई है। जहाँ पहले 28 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन मिलता था, वहीं अब यह घटकर 15 से 17 क्विंटल प्रति एकड़ रह गया है।
कंपनियों पर गंभीर आरोप
सिंह ने बताया कि रायपुर के खिलौरा स्थित एवीके लाइफ क्रॉप साइंस और फार्मर बायो क्रॉप साइंस में भारी मात्रा में नकली कृषि उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने इस संबंध में अपर संचालक कृषि सी.बी. लोढकर से फोन पर बात कर उन्हें मामले की जानकारी दी।
लेकिन, उनके अनुसार, विभागीय अधिकारी घंटों इंतजार करवाते रहे, और चार घंटे तक प्रतीक्षा के बाद भी कोई जिम्मेदार अधिकारी जांच के लिए नहीं पहुँचा। इसे उन्होंने आचार संहिता और प्रशासनिक जिम्मेदारी का स्पष्ट उल्लंघन बताया।
फैक्ट्री का ‘बैकडोर ऑपरेशन’ और विषैली गतिविधियाँ
प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि फैक्ट्री के पीछे एक गुप्त गेट बनाया गया है, जिसके जरिए उड़ीसा से एक अगरबत्ती फैक्ट्री का पाउडर मंगाकर नकली उत्पाद तैयार किए जाते हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फैक्ट्री के पास बने सरकारी गौठान में फैक्ट्री से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों के कारण लगातार गौवंश की मौतें हो रही हैं। इसके बावजूद प्रशासन और कृषि विभाग कथित तौर पर घूसखोरी और कमीशनखोरी के चलते कार्रवाई से बचते रहे हैं।
6 महीने से शिकायत, फिर भी कार्रवाई शून्य
श्री सिंह ने बताया कि इस संबंध में पिछले छह महीनों के दौरान उन्होंने
पुलिस अधीक्षक रायपुर,कलेक्टर रायपुर
कृषि संचालक, तथा,कृषि सचिव, छत्तीसगढ़ शासन को कई बार लिखित शिकायतें दीं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के राजपत्र में प्रतिबंधित जैव उत्प्रेरकों (बायो स्टिमुलेंट्स) की बिक्री और उत्पादन को रोकने पर भी विभाग विफल रहा है।
किसानों की क्षति की भरपाई की मांग
सिंह ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांग की कि लापरवाह अधिकारियों और फर्जी उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से वसूली कर किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन तत्काल कार्रवाई नहीं करता है तो वे
मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री को औपचारिक रूप से अवगत कराते हुए न्यायालय में विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध विधिक प्रक्रिया प्रारंभ करेंगे।
नियमों को ताक पर रखकर मिली अनुमति?
उन्होंने यह भी प्रश्न उठाया कि उद्योग विभाग ने बस्ती से महज 50 मीटर की दूरी पर फैक्ट्री संचालन की अनुमति कैसे दे दी, जबकि नियमों में स्पष्ट रूप से इसे प्रतिबंधित किया गया है।




