गरियाबंद। जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिये लाखों रुपये की लागत से स्थापित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट एक साल से बंद पड़ा हुआ है। यह प्लांट केवल उद्घाटन और शिलान्यास की फोटो खिंचवाने तक सीमित रह गया है। एक वर्ष बीत जाने के बाद भी न तो प्लांट में कोई उत्पादन शुरू हुआ, न ही कोई वेस्ट प्रोसेसिंग वर्क स्टार्ट हो सका।

विभागीय जानकारी के अनुसार 16 – 16 लाख रुपये की लागत से गरियाबंद जिले के दो विकासखंडों में ऐसे दो प्लांट स्थापित किये गये है।
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ये प्लांट, इस उद्देश्य से लगाये गये थे कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से एकत्रित प्लास्टिक कचरे का वैज्ञानिक रूप से निपटान हो सकेगा, जिससे पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा, साथ ही, स्थानीय महिला समूहों को रोजगार देने का भी लक्ष्य रखा गया था। मगर आज हालत यह है कि मशीनें धूल खा रही हैं और परिसर वीरान पड़ा हुआ है।

इस प्लांट पर लाखों रुपये खर्च किये गये, परन्तु अब तक कोई लाभ सामने नहीं आया है। ना पर्यावरण को लाभ हुआ, ना ही कोई रोजगार सृजन।
इस मामले में एसबीएम के डिस्ट्रिक्ट कंसल्टेंट परवेज़ हनफ़ी कहते हैं कि दो-तीन बार यहाँ काम शुरू किया गया, किन्तु महिला समूह के द्वारा रुचि नहीं ली जाती।

इसी तरह जिला पंचायत सीईओ जी.एस.मरकाम कहते हैं कि निर्माण के बाद से ही इलेक्शन और अन्य शासकीय कार्यों की व्यस्तता रही है, किन्तु हाल ही में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर रायपुर में कार्यशाला आयोजित की गई थी, वहां की गई चर्चा के बाद हम नये सिरे से इसके संचालन की रूपरेखा बना रहे हैं।
अब सवाल हैं कि क्या परियोजना की रूपरेखा अधूरी थी या कुप्रबंधन की भेंट चढ़ गई।





