सबसे बड़ी गडबड़ी… सालभर पहले 15 लाख खर्च.. 2 हजार पौधो मे तीन ही जीवित

प्रदीप बोरकर, खैरागढ़ : पर्यावरण सुरक्षा और वातावरण सुधारने ब्लाक के पासलखैरा के दस एकड़ में डीएमएफ मद और मनरेगा के तहत 15 लाख रू खर्च कर लगाए गए 24 सौ पौधो मे मौके पर केवल 3 पौधे ही बच पाए है। खनिज न्यास मद डीएमएफ से इसके लिए जनपद पंचायत को दस लाख रू और मनरेगा के तहत 5 लाख रू की स्वीकृति दी गई थी। पिछले साल जुलाई माह में दस एकड़ भूमि मे जनपद पंचायत द्वारा 24 सौ पौधों का रोपण किया गया । इसके लिए जमीन की पूरी तरह फेसिंग की गई थी । यहाँ फेंसिंग के अलावा कोई कार्य पूरा नही हो पाया है। पौधो की जगह कांटे भर दिख रहे है । बोर खनन कराया गया लेकिन सिंचाई सहित पौधों की देखभाल के लिए साल भर मे कोई व्यवस्था नही बनाई जा सकी । देखरेख के लिए गार्ड रूम भी साल भर से अधूरा पड़ा है। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण के नाम पर किए गए पौधारोपण की स्थिति यहाँ सबसे खराब है ।

2 हजार पौधो में 3 ही बचे

पासलखैरा खार में दस एकड़ शासकीस भूमि पर हुए इस पौधारोपण के लिए निर्माण एंजेसी ग्राम पंचायत मंडला को बनाया गया था । डीएमएफ मद की राशि मिलते ही आनन फानन में इस कार्य के लिए फेंसिंग तार, सीमेंट, छड़, ईंट की खरीदी कर ली गई पौधा रोपने उद्यानिकी विभाग से 24 सौ मिश्रित प्रजाति के पौधे मंगाए गए थे । लेकिन इसका भी भुगतान जनपद पंचायत द्वारा उद्यानिकी विभाग को अब तक नही मिल पाया। मौके पर जाकर देखने पर दस एकड़ जमीन के बीच में एक बोर खनन किया गया है लेकिन पौधा रोपण के बाद इसके सिंचन और पानी की व्यवस्था मौके पर नही दिखी । जिन जगहो पर पौधे लगाए गए थे वहाँ केवल मिटटी के ढेर और काटे मिले । बोर के किनारे एक जाम, और पूरे दस एकड़ में दो कोनो मे आम और नीम के पौधे ही सुरक्षित मिले बाकी 2 हजार से अधिक पौधे साल भर मे गायब हो गए है ।

महिला समूहो को मिली थी संरक्षण की जवाबदारी

दस एकड़ में डीएमएफ और मनरेगा मद से किए गए पौधारोपण के सुरक्षा और संवर्धन की जानकारी आसपास के गांवो के दस महिला समूहो को दी गई थी । इसमे रोजाना पौधो का सिंचन, देखभाल, रखरखाव सहित अन्य सुरक्षा कार्य शामिल थे। बताया गया कि माह भर बाद ही संबंधित समूह काम छोड़ चले गए। साल भर से यहाँ पौधो की सुरक्षा हो पाई और न ही निर्माण एजेंसी ने कोई दूसरी व्यवस्था बनाई । मौके पर एक की पर्याप्त उपस्थिति रखने गार्ड रूम का निर्माण किया जाना था जो साल भर बाद भी अधूरा पड़ा है । बाऊंड्रीवाल के लिए बेहतर फेसिंग बस अच्छी दिखी लेकिन बाकी जगहों पर पूरी तरह बंदरबाट कर पौधारोपण की धज्जियां उड़ाई गई है।

एक दूसरे पर थोप रहे जवाबदारी

डीएमएफ मद और मनरेगा के तहत 15 लाख रू से कराए गए इस पौधारोपण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आने के बाद अब जवाबदारी एक दूसरे पर थोपने का प्रयास शुरू हो गया है । जनपद पंचायत का दावा है कि इस पौधारोपण कार्यक्रम को उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित करने कहा गया था । तो सारी कार्यवाही उद्यानिकी विभाग के पास ही होगी । इधर उद्यानिकी विभाग अधिकारी ने बताया कि डीएमएफ मद सहित मनरेगा के तहत पौधारोपण की पूरी कार्यवाही जनपद और ग्राम पंचायत द्वारा की गई है। उद्यानिकी विभाग द्वारा 24 सौ मिश्रित पौधे उपलब्ध कराए गए थे ।

मजदूर भी विभाग के द्वारा लगाकर पौधारोपण कराया गया । जनपद ने पौधो और मजदूरी का भुगतान भी आज तक नहीं किया । आनलाइन भुगतान में दिक्कत आने पर इसे उद्यानिकी विभाग को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया की गई लेकिन सारे कार्य जनपद द्वारा ही किया गया । मामले की जानकारी और दस्तावेज मांगने के बाद भी जनपद ने आज तक कागजात उपलब्ध नही कराए ।उद्यानिकी विभाग द्वारा इस पौधारोपण के लिए 24 सौ पौधे दिए गए थे मजदूर भी लगाकर पौधारोपण कराया इसकी राशि भी अब तक नही मिली है । सारा कार्य जनपद पंचायत द्वारा ही किया गया है। इसकी जानकारी मांगने पर भी नही मिल पाई ।

रविन्द्र मेहरा नोडल अधिकारी उद्यानिकी विभाग खैरागढ़

जनपद पंचायत द्वारा मनरेगा और डीएमएफ मद से पौधारोपण कराया गया था । इसकी देखरेख और सारी व्यवस्था जनपद और उद्यानिकी विभाग के द्वारा ही की गई है । जिस समय पौधारोपण और अन्य कार्य किया गया मनरेगा कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चल रहे थे । उपेन्द्र वर्मा कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा जनपद पंचायत खैरागढ़

"छत्तीसगढ़ 24 न्यूज़" के लिए प्रदीप बोरकर की रिपोर्ट
"छत्तीसगढ़ 24 न्यूज़" के लिए प्रदीप बोरकर की रिपोर्ट
प्रदीप बोरकर जिला खैरागढ़, छत्तीसगढ़

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