*राजनांदगांव ।* अखिल विश्व की आदर्श अद्वितीय अनुपम भारतीय सनातन संस्कृति सदा सर्वदा से पर्वो, त्योहारों और शुभ मंगला उत्सवों को मनाने की गौरवशाली परंपरा के महत्तम अवसर, दिवस विजयादशमी के परम परिप्रेक्ष्य में नगर के संस्कृति विचार प्रज्ञ प्राध्यापक डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने विशेष विमर्श चिंतन में बताया कि श्रेष्ठ अर्थो में विजयादशमी पर्व विशुद्ध रचनात्मक वृत्ति का विजय पर्व है। भारतीय सनातन की स्वर्णिम आर्य संस्कृति के परमपुरूषोत्तम श्रीराम चंद्र जी दानवी शक्ति पर विजय का अनूठा उत्सवा त्योहार है। जो सौर्य, साहस एवं पराक्रम का सहज प्रतीक दशहरा त्योहार सर्व जन-जन एवं विशेषकर युवा-बाल-किशोर पीढ़ी के लिए परम सर्वहितकारी संदेश भी देता है कि जीवन में श्रीराम के आदर्शो का समग्र मन-प्राण से अनुकरण करें और रावण वृत्ति का हर हाल में दमन के लिए कृत संकल्पित हों। आगे डॉ. द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि हमारे सभी मंगल पर्व आध्यात्मिक, धार्मिक, रचनात्मक, शुभ्रता से श्रीमंडित होते हैं जो हमें राष्ट्रीय सामाजिक एकता अखण्डता की उत्कृष्ट शिक्षा, संदेश भी देते हैं और जिनका श्रेयष्कर परिपालन सभी का मूलभूत दायित्व होता है। आईये अद्भूत शौर्य एवं परम पराक्रम की वीर भावनाओं से ओतप्रोत विजयादशमी पर्व के श्रेष्ठतम संदेश को आत्मसात कर राष्ट्र की संरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हो यही इस महा उत्सवा पर्व का सामयिक सार्थक संदेश है।
राजनांदगांव से दीपक साहू