किरीट भाई ठक्कर ,गरियाबंद। राजिम विधानसभा के लिये कांग्रेस टिकट की दावेदारी में जनपद पंचायत फिंगेश्वर की अध्यक्ष पुष्पा साहू का नाम भी शामिल है। टिकट के प्रबल दावेदारों में वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ल के अलावा वह भी लगातार सक्रिय है। पहली बार देखा गया है कि राजिम विधानसभा में टिकट को लेकर अमितेश शुक्ल को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। इसके पीछे के अनेक कारणों में एक ये भी है कि पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने भाजपा प्रत्याशी रोहित साहू के चुनाव कार्यालय शुभारंभ के अवसर पर सीधे तौर पर राजिम विधायक शुक्ल को बाहरी करार दिया था। जिसकी वजह से कांग्रेस में भी हलचल तेज है, कांग्रेस टिकट को लेकर भी जनपद अध्यक्ष श्रीमती साहू ने स्थानीय होने का दावा करते हुये टिकट को लेकर पुरजोर दावेदारी की है तथा कांग्रेस की छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा से मुलाकात की है। बताया जाता है कि जनपद अध्यक्ष की मुलाकात और टिकट देने की मांग की चर्चा कांग्रेस के राजनैतिक हल्के में व्याप्त है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के लिये नियुक्त पर्यवेक्षक मनमोहन सिंह के गरियाबंद आगमन पर जिस तरह विधायक अमितेश शुक्ल ने अपनी पुरी ताकत लगा दी थी, व्यक्तिगत रूप से फोन कर-कर के कार्यकर्ताओं को अपने नारे लगाने के लिये गरियाबंद भेजा था इसके पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि टिकट के लिये अमितेश शुक्ल को जमीनी स्तर पर जदोजहद करनी पडी हो। इससे स्पष्ट होता है कि उनकी राजनीतिक पकड़ उच्च स्तर पर समाप्त हो चुकी है और वे पी.सी.सी. और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के तरफ टिकट के लिए टकटकी लगाये हुए है। वैसे भी राजिम विधानसभा क्षेत्र के कर्मठ और पुराने कार्यकर्ता जो कि स्व.पंडित श्यामाचरण शुक्ल के समय से निष्ठावान है उनसे अमितेश शुक्ल ने दुरी बना रखी है और नये-नये एैसे कार्यकर्ताओं के चुंगल में फंस गये है जिनका कोई जनाधार नही है ।
राजिम विधानसभा क्षेत्र,साहू बाहुल्य होने के कारण भाजपा ने सोच-समझ कर रोहित साहू को टिकट दी है। विरोध के बाद भी प्रत्याशी नहीं बदलने से अमितेश शुक्ल शक्ते में है। कांग्रेस के पास सही विकल्प के रूप में अब मजबुरी है कि कांग्रेस पार्टी भी किसी साहू प्रत्याशी को मैदान में उतारें। अगर साहू वोटों का विकेन्द्रीकरण हो गया तो कांग्रेस को जबरतस्त झटका लग सकता है, इसलिए ब्लाक और जिला कांग्रेस कमेटी में फिंगेश्वर जनपद पंचायत अध्यक्षा पुष्पा साहू का नाम न होते हुये भी, प्रदेश समिति में भेजे गये नामों में उनका नाम जुड़ जाना कोई आश्चर्य की बात नही होगी। पुराने कट्टर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से ही वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ल सर्वे में पिछड़ गये है और चाटुकारों के बीच फंस गये है ।