किरीट भाई ठक्कर ,गरियाबंद। जिले के देवभोग जनपद पंचायत क्षेत्र की महिला सरपंच ने अपने ही पति ,ससुर और मामा ससुर को 14 वें वित्त की राशि का भुगतान कर दिया। इतना ही नही, अपने पुत्र को उचित मूल्य दुकान में सेल्समैन नियुक्त कर दिया।
मामला देवभोग विकास खंड की ग्राम पंचायत बरबाहली का है। महिला सरपंच सुमित्रा सिन्हा द्वारा लगभग 2 लाख 36 हजार रुपये की 14 वें वित्त की राशि का भुगतान अपने ही परिजनों को कर दिया गया है।
इस मामले की शिकायत ग्रामीण फूलसिंह पाथर , करण सिंह पाथर , कंवल सिंह, बालिधर यादव , भंवर सिंह, शान्ताराम पाथर , हीरालाल आदि ग्रामीणों द्वारा की गई थी।
शिकायत की जांच के लिये जनपद पंचायत देवभोग द्वारा पांच सदस्यीय जांच दल गठित किया गया। जांच कमेटी के प्रतिवेदन में सरपंच बरबहाली जनपद पंचायत देवभोग की स्वेच्छाचारीता उजागर हुई, साबित हुआ कि सरपंच के द्वारा छत्तीसगढ़ पंचायत सामग्री तथा माल क्रय नियम 2013 में निहित प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। अपने पुत्र को शासकीय उचित मूल्य की दुकान में सेल्समैन नियुक्त कर अपने ही नाते रिश्तेदार को आर्थिक लाभ पहुँचाया गया।
इधर जांच दल के समक्ष अपने बयान में सरपंच बरबहाली द्वारा कहा गया कि शासन की महत्वकांक्षी गौठान योजना के लिये तथा अन्य कार्यों के लिये किसी भी अन्य मटेरियल सप्लायर द्वारा कोई रुचि नहीं ली गई। गांव की मूलभूत समस्याओं को देखते हुये अपने ही नाते रिश्तेदारों से बांस ट्रीगार्ड , फेंसिंग पोल लेना पड़ा साथ ही पैरा व मुरुम ढुलाई , आदि कार्य करवाना पड़ा। साफ सफाई व मुरमिकरण कार्य भी परिजनों से ही करवाना पड़ा।
शिकायतकर्ता पहुंचे जनदर्शन में
कहते हैं न्याय में देर भी अन्याय ही है। मामले में लंबी अवधि बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही होती ना देख शिकायतकर्ता ग्रामीण कलेक्टर जनदर्शन में जिला मुख्यालय पहुंच गये। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच में दोषी पाये जाने के बाद भी सरपंच के विरुद्ध धारा 40 की कार्यवाही नहीं कि जा रही, मामले में जानबूझकर विलंब किया जाकर सरपंच को कार्यवाही से बचाने का प्रयास किया जा रहा है