बैकुंठपुर विधानसभा में विधानसभा में त्रिकोणी संघर्ष दिखाई दे रहा है
कोरिया बैकुंठपुर,विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी टिकट वितरण को लेकर संशय की स्थिति थी। कांग्रेस का जनसंपर्क भी धीमी गति से चल रहा था। अंबिका सिंहदेव का नाम पार्टी के द्वारा कराए गए तमाम सर्वे जीत की कसौटी पर फेल नजर आ रहा था। जहां पर पार्टी में गुटबाजी नजर आती है वहां सब कुछ बदल जाता है। कुछ ऐसा ही बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में हो गया है यहां पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपने कराए गए तमाम सर्वे में फेल नजर आ रही अंबिका सिंहदेव को टिकट दिया गया है। और इसका परिणाम यह हो रहा है कि सत्ता विरोधी लहर से कांग्रेस अपना परंपरागत वोट बचा पाने में नाकाम नजर आ रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं भी कुछ कह और कर पाने की स्थिति नजर नहीं आ रहे हैं। क्योंकि पांच साल उनकी कोई पूछ परख नही हुई। जिस प्रकार कोरिया जिले की बैकुंठपुर विधानसभा छिटपुट कार्यों के अलावा विगत 5 वर्षों में विकास से कोसों दूर रही तो वही जिले के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा किसी से छुपी नहीं है। और परिणाम यह हुआ कि जिले में कांग्रेस के अस्तित्व पर खतरा नजर आ रहा है। जब जिले के विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की यह स्थिति है तो आम मतदाता का क्या हश्र होगा यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जबकि कोरिया जिले का बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। लेकिन कांग्रेस पार्टी के द्वारा अपने ही वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के कारण ऐसी स्थिति में आना यह कोई नहीं बात नहीं होगी।नवनियुक्त कांग्रेस
जिलाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता वरिष्ठ कांग्रेसियों को मनाने के साथ अपनी पुरानी टीम को एक जुट करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन नाराजगी इतनी ज्यादा है की लोग आसानी से मानने को तैयार नहीं हैं। जिले के बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की हालत को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मुख्य भूमिका में भारतीय जनता पार्टी तथा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ना आ जाए। जिस प्रकार पूर्व में जिला पंचायत के हुए चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशी विजई रहीं और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी दूसरे स्थान और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। मामला चाहे जो भी हो लेकिन कांग्रेस के द्वारा देर से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाने से कांग्रेस पिछड़ती हुई नजर आ रही है। उपेक्षा और गुट बाजी से जिले में कांग्रेस टूट की कगार पर नजर आ रही है। अब देखना होगा कि क्या कांग्रेस बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र के मजबूत जन आधार को तथा संगठन को बचा पाने में नाकाम रहती है या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इन्ही कारणों से भाजपा अपने आप को काफी मजबूत मान कर चल रही है। लेकिन भाजपा के समक्ष जातिगत समीकरण की समस्या मुंह बाय खड़ी है, क्योंकि इस समय साहू समाज का एक बार धड़ा भाजपा से नाराज चल रहा है। टिकट के दावेदार शैलेश शिवहरे की नाराजगी भी पार्टी पर भारी पड़ सकती है। क्योंकि उनको पास युवा कार्यकर्ताओं की फ़ौज है। यदि वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में ताल ठोक देते हैं तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल क्षेत्र में भईयालाल राजवाड़े के साथ जनसंपर्क के साथ भाजपा संगठन को एकजुट करने में लगे हुए हैं। लेकिन उनके सामने गुटबाजी से निपटना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं