*▶️ विभाग में कार्यरत नियमित शिक्षकों को स्टाइपेंड देना अनुचित है*
*राजनांदगांव।* छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी ने वित्त सचिव को ज्ञापन सौंपकर निम्न पद से उच्च पद पर चयनित शिक्षकों को स्टाइपेंड नियम से मुक्त करने का पक्ष रखा है। उन्होंने वित्त सचिव के समक्ष पक्ष रखा कि शिक्षा विभाग में पहले से कार्यरत जिन शिक्षकों ने विभागीय अनुमति लेकर निम्न पद से उच्च पद पर चयनित होने के फलस्वरूप निम्न पद से तकनीकी त्याग पत्र दिया था, उन पर छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग का आदेश 3 अगस्त 2018 (वित्त निर्देश 41/2018) प्रभावशील है, लेकिन इसका पालन शिक्षा विभाग नहीं हो रहा है।
फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी, प्रांतीय प्रमुख महामंत्री सतीश ब्यौहरे, जिला संरक्षक मुकुल साव, जिला अध्यक्ष पीआर झाड़े, पीएल साहू, जितेंद्र बघेल, बृजभान सिन्हा, सीएल चंद्रवंशी, वीरेंद्र रंगारी, रंजीत कुंजाम, सोहन निषाद, अब्दुल कलीम खान, स्वाति वर्मा, नवीन कुमार पांडे, उत्तम डड़सेना, देवचंद बंजारे, शिव प्रसाद जोशी, खोमलाल वर्मा, हेमंत पांडे, लीलाधर सेन, पुष्पेंद्र साहू, संजीव मिश्रा, हेमंत दोंदीलकर, श्रीमती संगीता ब्यौहरे, श्रीमती अभिशिक्ता फंदियाल, सुधांशु सिंह, पायल देवांगन, वंदना पानसे, शिरीष कुमार पांडे, राजेश शर्मा, नरेश प्रसाद दुबे, रमेश कुमार साहू, ईश्वर दास विश्राम, रानी ऐश्वर्य सिंह ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा, किसे नहीं होती है। छोटा व्यापारी बड़ा व्यापारी बनना चाहता है। छोटे किसान बड़े किसान बनना चाहते हैं। ठीक उसी प्रकार कर्मचारी भी अपनी योग्यता के आधार पर निम्न पद से उच्च पद में जाना चाहते हैं। इसके लिए कुछ कर्मचारी प्रमोशन का इंतजार करते हैं तो कुछ सीजीपीएससी एवं व्यापम की सीधी भर्ती की परीक्षा में विभागीय अनुमति लेकर परीक्षा उत्तीर्ण कर उच्च पद में जाते हैं, ताकि उन्हें उच्च पद में निम्न पद की तुलना में ज्यादा वेतन लाभ एवं स्टेटस मिल सके। परंतु वर्तमान में छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग में इसका उल्टा हो रहा है, जो शिक्षक विभागीय अनुमति लेकर परीक्षा देकर उच्च पद में गए हैं उन्हें अब निम्न पद की तुलना में कम वेतन मिल रहा है। इसका मुख्य कारण है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वित्त निर्देश 41/2018 के कंडिका- 2.2 में उल्लेखित वेतन संरक्षण का लाभ न देकर चयनित पद के वेतनमान का प्रथम वर्ष 70 प्रतिशत, द्वितीय वर्ष 80 प्रतिश्त और तृतीय वर्ष 90 प्रतिशत स्टाइपेंड दिया जा रहा है, जो कि गलत है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग के आदेश 3 अगस्त 2017 (वित्त निर्देश 41/2018) में स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य शासन के अधीन ऐसे शासकीय सेवक जो कि अपने ही विभाग अथवा अन्य विभागों में उच्च पद पर चयनित होते हैं तो उच्च पद पर कार्यभार ग्रहण करने दिया गया त्याग पत्र को प्रशासनिक कारणों से तकनीकी त्याग पत्र माना जायेगा।
उन्होंने बताया कि वित्त विभाग के आदेशानुसार तकनीकी त्याग पत्र जैसे प्रकरणों में उच्च पद पर जाने वाले कर्मचारियों को वेतन संरक्षण एवं वार्षिक वेतन वृद्धि सहित अन्य लाभ हेतु नियम लिखित है। तथापि बहुत सारे तकनीकी त्याग पत्र शिक्षकों को इसका लाभ वर्तमान में नहीं दिया जा रहा है। इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी द्वारा छत्तीसगढ़ शासन के वित्त सचिव अंकित आनंद को ज्ञापन सौंपकर इस मुद्दे हेतु ध्यान आकर्षित किया गया है। साथ ही यह मांग रखा गया है कि जो शिक्षक विगत 15-16 सालों से शासन को सेवा दे रहे थे और प्रमोशन की संभावना नहीं देखते हुए परीक्षा लिखकर नए पदों पर आए हैं उनको वेतन के स्थान पर वेतन का क्रमशः 3 वर्ष 70 प्रतिशत, 80 प्रतिशत, 90 प्रतिशत स्टाइपेंड देना उचित नहीं है। उन्होंने वित्त सचिव से यह मांग किया है कि तकनीकी त्यागपत्र के अधीन शिक्षकों को, स्टाइपेंड से मुक्त रखकर, वेतन संरक्षण संबंधी वित्त विभाग के निर्देश 41/2018 का पालन किये जाने हेतु आदेश जारी किया जावें। गौरतलब है कि एक अन्य निम्न पद से उच्च पद के मामले में न्यायालयीन आदेश के पालन में विभाग द्वारा पर लाखों का वेतन एरियर्स भुगतान किया गया है, लेकिन तकनीकी त्यागपत्र के मामले में वास्तविक वेतन भुगतान नहीं किया जाना अन्याय पूर्ण है।
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राजनांदगांव से दीपक साहू