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डॉ. बिजेन्द सिन्हा जी का संपादकीय लेख । “संत गुरु घासीदास के विचारों को फैलाने की जरूरत “
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रानीतराई :- आज के नफरत हिंसा आतंक भय आशंका अशान्त भेदभाव व दहशत भरें माहौल में गुरु घासीदास के सत्य प्रेम अहिंसा न्याय व समानता का सन्देश प्रासंगिक हैं। गुरु जी शान्ति व सदभावना के सन्देश वाहक थे। बाबा घासीदास सिर्फ एक समाज ही नहीं बल्कि सभी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत थे। संत गुरु व महापुरुष किसी समूह समुदाय प्रान्त व राष्ट्र की सीमाओं में बंथे नहीं होते। बल्कि अपने मार्ग दर्शन व ज्ञान से अज्ञानता के अन्धकार मिटाकर दुनिया को आलोकित करते हैं। संतों व समाज सुधारको ने समय समय पर समाज में व्याप्त अन्ध परम्पराओ जातिगत भेदभाव रूढीवाद कुरीतियों व अज्ञान मिटाकर समाज को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित किया। जिनमें संत शिरोमणि गुरु घासीदास का भी अद्वितीय स्थान रहा है। बाबा का अवतरण जिस समय हुआ उस समय शोषण अन्याय पाखण्ड व अत्याचार चरम शिखर पर था।समाज असमानता अज्ञानता जातिगत भेदभाव व छुआ-छूत जैसी कुरीतियों में धंसा हुआ था। उनहोंने सत्य को ईश्वर बताया और सत्य के मार्ग पर चलकर कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया।
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