रानीतराई :- देश व राज्य का भविष्य पूरी तरह मतदाता के अभिनव चेतना पर निर्भर करता है। मतदान के सदुपयोग व दुरूपयोग पर ही देश व राज्य की प्रगति एवं अवनति की आधारशिला रखी जाती है। सामाजिक अनुशासन, न्याय, नैतिकता और हर व्यक्ति के उत्थान की सुरक्षा ही लोकतंत्र का आधार है। उन्नति के साधन हर व्यक्ति को मिले यह लोकतंत्र में ही सम्भव है। परन्तु वर्तमान समय में जातिवाद, क्षेत्रवाद, धनबल और बाहुबल के कारण लोकतंत्र बाधित हो रहा है। पूरा समाज आज नेतृत्वविहीन है। लोकतंत्र की व्यवस्था एक उपहास मात्र बनती जा रही है। आज का लोकतंत्र कुछ व्यक्तियों के हाथ का खिलवाड़ सा हो गया है। जातिवाद क्षेत्र वाद की भावना देश व राज्य की अस्मिता के लिए खतरा बनी हुई है
हमारा समाज अनेक धर्म सम्प्रदाय वर्ग और जातियों की सम्मिलित ईकाई है। इसलिए यहाँ अधिनायकवाद जैसी स्थिति सम्भव नहीं है। चुनाव में धन-बल हावी है इसीलिए व्यवस्था की कसौटी पर लोकतंत्र खरा नहीं उतरता है। राजनीति में जातिवाद व क्षेत्रवाद का नारा अधिक दिनों तक नहीं चलने वाला है। युवा पीढ़ी सब कुछ देख और समझ रही है।
लोकतंत्र में वोटों के आधार पर सारी गतिविधियाँ संचालित होने लगी है। लोकहित की बात पीछे छुट गयी है। चुनाव में प्रलोभन आम बात है। मतदाताओं का कर्तव्य व उत्तरदायित्व है कि वह अपने विवेक का इस्तेमाल करे। अपने विवेक से ईमानदार व जनहित के लिए प्रतिबद्ध व्यक्ति को ही मतदान करना बेहतर है।तभी सचमुच में लोकतंत्र की रक्षा सम्भव है। शराब, पक्षपात पूर्ण आश्वासन, अपूरणीय वादे जैसी गतिविधियां निष्पक्ष चुनाव में बाधक है। ऐसी विसंगतियां नहीं होनी चाहिए। ऐसी विसंगतियों के फलस्वरूप ही लोकतंत्र असफल रहता है। लोकतंत्र की सफलता ऐसी सशक्त सरकार पर निर्भर करती है जो जनता के हितों की रक्षा कर सके। लोकतंत्र की सफलता का आधार चुनाव है इसीलिए लोकतंत्र में वोटर और वोट का महत्व सर्वाधिक है। देश या राज्य को अच्छे भविष्य की ओर ले जाने का निर्णायक अधिकार भी जनता के हाथ में है और पतन के गर्त में ले जाने का अधिकार भी ।यदि जनता अपना वोट समझदारी व उत्तरदायित्व से नहीं देती है तो लोकतंत्र में विसंगतिया पैदा हो सकती है। जनता का हित किसके हाथ में सुरक्षित रह सकता है इसका ख्याल न रखने से ही लोकतंत्र असफल रहता है। देश का भविष्य मतदाताओं पर निर्भर है। मतदाताओं के परिष्कृत दृष्टिकोण की जरुरत है जिससे ऐसे शासन तंत्र विकसित हो जिसमें जाति,वर्ग, मत धर्म, मत,पंथ आदि विभाजक रेखाओं का कोई स्थान न हो।
वोट किसी को भी दे देने का कोई मतलब नहीं। इसलिए वोट की महत्ता को समझना चाहिए। उन्हें अपना वोट ऐसे उम्मीदवार को देना चाहिए जो देश का ,राज्य का ,समाज का और प्रतेक व्यक्ति का हित साधन कर सके। जो न्यायप्रिय, इमानदार, निर्लोभी,साफ सुथरा व्यक्तित्व
वाला व जनसेवी हो। ऐसे व्यक्ति को ही चुनना चाहिए भले ही वो किसी भी जाति,धर्म व दल के क्यों न हो। जनता के वोट पर ही लोकतंत्र की सफलता टिकी हुई है। उसका उपयोग बहुत ही सोच समझकर राष्ट्रीय हित में करना चाहिए।
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डॉ. बिजेन्द सिन्हा जी का संपादकीय लेख ‘वोट बडा कीमती है, व्यर्थ न जाने दीजिये”
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