सड़क के बीच बैठा है जिंदा मौत, छत्तीसगढ़ में मवेशियों का कब्जा..

संतोष देवांगन(विशेष लेख)रायपुर/अमलेश्वर : जी हा छत्तीसगढ़ की सड़कों पर अब गाय मवेशीयों का कब्जा है । चाहे राजधानी रायपुर हो या गाँव, शहर , चाहे नेशनल हाइवे हो या शहर के मुख्य मार्ग या फिर गाँव की सड़के, इन सभी सड़कों मे गाय ने पूरी तरह से कब्जा जमाये बैठा है । मगर पशु-पालको और ग्रामीणो मे इतनी भी इंसानियत नही है की वे सड़क पर जमे बैठे अपनी मवेशियों को सड़क से हटा दे । और इससे संबंधित संगठन के लोगो को भी कोई सरोकार नहीं है । चाहे उनके अपने ही क्यों न सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाए या किसी की मौत । ये लोग उस वक्त सामने आते है जब कोई चार पहिया वाहन से गुजरते समय इस गौ माता मवेशियों को ठोकर लग जाती है । तब इस गौ माता की ,सोये हुए, बेटे जाग जाते है , और वे , उस बे कसूर वाहन चालक की बेदम पिटाई करने मे, अपना हाथ साफ कर लेते है ।

इसी खराब व्यवस्था से रूबरू होने ‘छत्तीसगढ़ 24 न्यूज़’ के ‘संपादक-संतोष देवांगन’ और रिपोर्टर करन साहू रायपुर महादेव घाट से पाटन जाने वाले मुख्य मार्ग पर अमलेश्वर पहुंचे ।      तो वहा देखा की सड़क के एक तरफ, सड़क किनारे कब्जा कर ठेला खोमचा वाले और सड़क पर दुकान का सटर बनाने वाले का कब्जा है. तो दूसरी तरफ समझदार पशु पालको की गाय-मवेशियों का सड़क पर कब्जा है . अब एसे मे कोई वाहन चालक राहगीर भला चले तो चले कैसे । क्योंकि अक्सर देखा गया है की मवेशी को बचाने के चक्कर में वाहन चालक वाहन को इंसानों के ऊपर चढ़ा बैठता है। और यह दृश्य कही और का नहीं बल्कि अमलेश्वर थाना से महज 100 मीटर पास का है। जहा यातायात व्यवस्था को सुधारने कोई पुलिस कर्मी भी नहीं है।

रायपुर से पाटन ‘व्ही आई पी’ लोगों का आना जाना :  आपको बता दे की , ग्राम पंचायत अमलेश्वर अब नगर पालिका परिषद बन गया है , और रायपुर राजधानी से पाटन जाने का यह मुख्य मार्ग और काफी व्यस्त रास्ता है । और अक्सर इस रास्ते से  ‘व्ही आई पी’ (VIP) लोगों का ज्यादा आना जाना रहता है । एसे मे अमलेश्वर पुलिस को व सभी थाना प्रभारियों को चाहिए की वे , अपने थाना क्षेत्र के पशु पालको का अच्छे से क्लास ले । और उन्हे जागरूक करने , इससे संबंधित संगठनो के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाए , जिससे की सड़क मे पशु न पहुंचे और किसी की दर्दनाक अकाल मौत न हो।

छत्तीसगढ़ मे , राज्य सरकार की शोच और योजनाएं अच्छी : आपको बता दे की राज्य सरकार के द्वारा गांव के किसानो और पशुपालको को आर्थिक रूप से मजबूत करने कई योजनाएं चला रही है जिसके अंतर्गत गांव में गौठान का निर्माण कराया गया है । गौठान समिति का गठन कराया गया है जिससे की गांव के जानवर गांव के खेत, खलियान का फसल बर्बाद न करे , कोई आवारा मवेशी पशु सड़कों पर न आये , इन सभी के लिए गौठान समिति का भी गठन किया गया है जिसका इन्हे लाभ भी मिल रहा है. और इन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों के पास भी पशुएं है लेकिन फिर भी न जाने क्यों.? ग्रामीण व शहरी पशु पालक अपने जानवरो को व्यवस्थि नहीं रख रहे है।  वही गौठान समिति के अध्यक्ष भी सरकारी मलाई खाने मे व्यस्त है। जिसके चलते गौठानों में मवेशी भी नजर नहीं आती। वही सरकार के ‘नरुवा, गरुवा, घुरवा , बाड़ी’ जैसे अच्छी योजनाओ पर कालिख पोतने का काम लापरवाह समिति और पशुपालक बखूबी निभा रहे है। जिसके चलते विपक्ष को बोलने के लिए मुद्दा मिल रहा है।

बच के रहना रे बाबा , बड़ी दुर्घटनाओं के लिए तैयार बैठी मवेशी

अपनी गलती को छुपाने सरकार पर लगाते है आरोप :       वही मजेदार बात यह है की , ग्रामीण पशु पालक दूध, दही , मलाई तो खूब खा ही रहे हैं । अलग से अपने गाय का गोबर और गोमूत्र को भी राज्य सरकार को बेच रही है। फिर भी पशु पालक लोग अपने गाय को अपने घर (गाय कोठा) में बांधकर नहीं रख रहे हैं । यह बहुत ही शर्मनाक बात है। ये पशु पालक सरकार के योजनाओं का लाभ तो ले रहे है , लेकिन जानबूझकर सरकारी व्यवस्था को भी खराब करने मे कोई कसर नहीं छोड़ रहे है । फिर जब हम अपने गौ माता की बराबर देखभाल नही कर सकते , उन्हे व्यवस्थित नही रख सकते तो फिर हमे गौ पालने से क्या मतलब , एसे मे तो हम पशु पालक अपनी स्वार्थ पूरा करने दूसरों को मौत के घाट उतारने अपने पशुओ को सड़क पर लावारिस छोड़ रहे है जो बहुत बड़ा अपराध है। वही इन मवेशी पालको की लापरवाही से सड़क में दुर्घटना घट जाती है तो ये अपनी गलती छुपाने सरकार पर दोष मढ़ देती है।

पशु पालको के द्वारा जानबूझकर की गई घोर लापरवाही से बढ़ रही सड़क दुर्घटनाएं :  इसे इन पशु पालको के द्वारा जानबूझकर की गई घोर लापरवाही ही कहा जाये की । जो शाम के चार बजते ही पूरा सड़क मे मवेशी बैठे रहते हैं हमे ऐसा ही नजारा राजधानी रायपुर से नगर पालिका अमलेश्वर से होकर पाटन मुख्यालय तक सड़कों पर मवेशी देखने को मिला । लेकिन कोई भी ग्रामीण या संगठन से जुड़े गौ माता के बेटे व यातायात पुलिस भी प्यारी गौ माता को बीच रास्ते से हटाकर किनारे करते नही दिखाई पढ़ा । एसे मे सरकार को इन गौ माता के लिए जल्द ही एक नई वृद्धा आश्रम खोलने की जरूरत है जहां स्वार्थी बेटों से अच्छा गौ माता हो सके । और सरकार को इन पशु पालको पर सख्त कार्रवाही करने की आवश्यकता है। क्योंकि यह दृश्य एक गांव एक शहर ही नहीं बल्कि पूरा छत्तीसगढ़ में देखने को मिलेगा।

यातायात व्यवस्था को बाधीत करने और दुर्घटना को अंजाम देने-पशु पालकों पर हो सख्त कानूनी कार्रवाई :        जिस प्रकार यातायात पुलिस हेलमेट पहनने के लिए वाहन चालको पर दबाव बनाते है मन चाहा जुर्माना ठोकते है वैसे ही राज्य के यातायात पुलिस को सड़क पर से ‘गाय मवेशियो’ द्वारा यातायात व्यवस्था को बाधीत करने और दुर्घटना को अंजाम देने के नाम पर ‘गाय मवेसी’ पालकों पर सख्त कड़ी क़ानूनी कारवाही कर जुर्माना और जेल भेजने जैसी कड़ी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे की इस ख़राब व्यवस्था मे जल्द सुधार आये और शायद कुंभकरणीय नींद मे सोये गौ माता के लाडले नींद से जाग जाये । क्योंकि अक्सर नींद मे कई लोगो को बड़बड़ाने की आदत जो होती है । इसलिए बिना जाने सरकार के क्रिया कलापों और उनके ‘नरुवा, गरुवा, घुरवा , बाड़ी’ जैसे महत्वाकांछी योजनाओ की आलोचनाए अक्सर फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम व सोशल मीडिया में करते रहते है। चाहे तो छत्तीसगढ़ की निंदा करने वाले समझदार जनता सरकार की निंदा न कर पशु पालको को जागरूक करने अपना फर्ज तो निभा सकता है ? ….. आगे और भी 

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