संस्कृति और परंपराओं का संगम: सूरजपुर और भटगांव में भव्य आयोजन

सूरजपुर/भटगांव। छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की छटा बीती रात सूरजपुर और भटगांव विधानसभा क्षेत्रों में आयोजित दो अलग-अलग भव्य आयोजनों में देखने को मिली। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी रजवाड़े ने इन दोनों सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर क्षेत्रवासियों का उत्साहवर्धन किया और लोक-परंपराओं के महत्व को रेखांकित किया।

सूरजपुर के केनापारा में सांस्कृतिक कार्यक्रम की धूम
बीती रात्रि सूरजपुर जिले के ग्राम केनापारा में एक शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंत्री श्रीमती लक्ष्मी रजवाड़े इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में पारंपरिक गीतों, नृत्यों और कला रूपों की मनमोहक प्रस्तुतियां हुईं, जिसने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर मंत्री श्रीमती रजवाड़े ने अपने उद्बोधन में कहा कि “ऐसे सांस्कृतिक आयोजन हमारी परंपराओं को जीवंत रखते हैं। ये सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज में एकता और आपसी सौहार्द का मजबूत संदेश देते हैं।” उन्होंने कहा कि हमारी पहचान हमारी संस्कृति से है और हमें इसे सहेज कर रखना होगा। कार्यक्रम में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारी संख्या में ग्रामीणजन उत्साहपूर्वक उपस्थित रहे।

भटगांव में आदिवासी करम परब 2025 का उल्लास

इसी क्रम में, भटगांव विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बिशुनपुर खुर्द में आयोजित आदिवासी करम परब 2025 कार्यक्रम में भी मंत्री श्रीमती लक्ष्मी रजवाड़े सम्मिलित हुईं। करमा पर्व आदिवासी समाज का एक प्रमुख लोकपर्व है, जो प्रकृति पूजा और सामूहिक उल्लास का प्रतीक है।

कार्यक्रम के दौरान पारंपरिक करमा नृत्य और गीतों की शानदार प्रस्तुति दी गई, जिसमें ग्रामीणजनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मंत्री ने इस मौके पर कहा कि “करमा जैसे लोकपर्व हमारे संस्कृति, परंपरा और सामूहिक सौहार्द के प्रतीक हैं, जो समाज में एकता और आनंद का संदेश देते हैं।” उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन पर्वों के माध्यम से हमारी पुरानी पीढ़ी की सीख और मूल्य नई पीढ़ी तक पहुँचते हैं। इस आयोजन में भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण, सामाजिक कार्यकर्ता एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।

मंत्री श्रीमती रजवाड़े की एक ही रात में दो महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजनों में उपस्थिति ने यह दर्शाया कि सरकार छत्तीसगढ़ की स्थानीय संस्कृति और लोकपर्वों के संरक्षण के प्रति कितनी गंभीर है। इन आयोजनों ने न सिर्फ स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान किया बल्कि ग्रामीणों को एक साथ आने और अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर भी दिया।





