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डॉ. बिजेन्द का संपादकीय लेख “कब बदलेंगी जातिगत भावनाएँ “
रानीतराई :- जहाँ एक ओर हम विज्ञान तकनीकी व अन्य क ई क्षेत्रों में विलक्षण पायदान हासिल किए हैं वहीं दूसरी ओर कई जगहों पर हो रही भेदभाव पूर्ण व जातिगत हिंसा की घटनाएं अत्यंत चिन्ता जनक व विचारणीय है। वैज्ञानिक प्रगति व आधुनिकता के बाद भी जातिगत भेदभाव के चलते हत्या दुष्कर्म व अन्य अपराध से जाहिर है कि समाज में मानवीय संवेदना व जीवन मूल्य बेतहाशा ध्वस्त हुआ है ।ऐसी घटनाए जब होती है तो हमारी सारी मानवीय प्रगति बेमानी साबित होती है। इन अपराधो को देखते हुए भावी समाज का स्वरूप कितना दुखद होगा इसकी कल्पना की जा सकती है। मौजूदा परिवेश में जातिगत विद्वेष से प्रेरित हत्या आगजनी व दुर्व्यवहार की घटनाएं बढती जा रही हैं। दलित उत्पीड़न की भी अनेक घटनाओं समाज में घटती रहती हैं जिनमें
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