परम सम्मानीय डॉ. बिजेन्द्र सिन्हा जी का संपादकीय लेख *”सभ्य समाज पर कलंक मानव तस्करी “*

CG 24 NEWS :- आधुनिक समाज में अपराध के विभिन्न रूपों का तेजी से विस्तार हो रहा है।जिसमें मानव तस्करी भयावह व त्रासदी पूर्ण अपराध है। यह घ्रणित व्यापार है।इसमें क ई तरह के अपराध शामिल हैं। अंग व्यापार, बच्चों से पशुवत कार्य,देह व्यापार, बन्धक मजदूरी आदि कार्य के लिए महिलाओं, बच्चों व पुरुषों के अपहरण व बेचे जाने के मामले लगा तार तेजी से बढ रहे हैं। देश में मानव तस्करी बहुत बडी समस्या बन चुका है। जिसका संबंध विदेशों से है। यह अनैतिक उद्योग का रूप ले चुका है। गरीबी, बेरोजगारी, अभाव ग्रस्तता, पिछड़ापन, अशिक्षा व पलायन इस समस्या के मूल में है। गरीबी व मजबूरी का फायदा उठाकर युवतियों को दिल दहला देने वाले यौन अपराध व यौन शोषण का शिकार बनाते हैं। पीडितो में 92 फीसदी महिलाएं व बच्चे शामिल होते हैं। गौरतलब है कि गोद लेने की आड में भी बच्चों की तस्करी होती है। इतिहास गवाह है कि पत्थर दिल वाले व्यक्तियों को भी बच्चों की सरलता ने द्रवित कर दिया व उनका ह्रदय और व्यक्तित्व परिवर्तन हो गया।
जिस समाज में पशुओ से लेकर इंसान तक के बच्चों के प्रति स्नेह की भावना पैदा है वहां बच्चों की अंग तस्करी जैसे दुखद कार्य दुर्भाग्य पूर्ण है।जिस संस्कृति में दूसरे के शरीर की रक्षा की महिमा गाई गयी हो उस समाज में देह व्यापार व अंग व्यापार जैसे घ्रणित अपराध मानवीय संवेदनाओं की दुर्गति है। इन घटनाओं से मन आहत हो जाता है। अनाथ व बेसहारा बच्चे को सरलता से अपना शिकार बनाते हैं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे उपेक्षा एवं शोषण के अधिक शिकार बनते हैं। जो जीवन भर सुरक्षा को लेकर जूझते हैं। उनका जीवन शुरू होने से पहले ही त्रासदी व कष्ट में बदल जाता है। मानव तस्करी अपराधजनित मनोविकार है जिससे ग्रस्त लोग इस अमानवीय अपराध को अंजाम दे रहे हैं ।इतने कठोर कानून के बाद भी इस भयावह अपराध के कारण मासूमो का अपहरण, अंग हटाना व हत्याएँ हो रही है तो इस बात पर चिन्तन आवश्यक हो जाता है कि हमारी कामयाबी का रूप इतना दुखद व भयावह क्यों है। कुछ बुद्धिमानों व शिक्षित लोगों ने भी अपनी समर्थता व योग्यता का दुरूपयोग करते हुए मानव तस्करी में सहयोग देकर जन हानि पहुंचाई है। ऐसा विकास ज्यादा मायने नहीं रखता जहाँ जीवन मूल्यों का कोई स्थान न हो। छत्तीसगढ़ में भी मानव तस्करी की घटनाएं अत्यंत चिन्ता जनक है यहाँ आए दिन गाँवों व शहरों में बच्चा चोरी के मामले लगा तार तेजी से सामने आ रहे हैं। एक आकड़े के अनुसार महिलाओं व बच्चों की तस्करी मे छत्तीसगढ़ देश के शीर्ष 5 राज्यों में शामिल है। यह समाज व सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिये। इस अमानवीय अपराध को रोकने के लिए सरकार को प्रतिबद्ध होना चाहिए। विशेष रणनीति व समुचित तरीके खोजकर इस समस्या का समाधान सम्भव हो सकेगा। गरीबी दूर करने वाले सभी व्यवहारिक उपाय उपयोग मे लाये जाने चाहिए। बाल मजदूरी के उन्मूलन की भी जरूरत है। पीडितो को रोजगार प्रदान कर उनके आर्थिक, शैक्षिक व सामाजिक उत्थान कर इस अमानवीय कार्य को रोका जा सकता है। उनके उत्थान के लिए अनेक योजनाओं को प्रारम्भ किया जाय जिससे उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव दिख सके।यह मामला जितना सरकार,प्रशासन, विधि व्यवस्था का है उतना ही समाज सुधार का भी है। इस समस्या के स्थायी व पूर्ण समाधान के लिए मनुष्य के मानवीय सद्गुणों जैसे दया, प्रेम ,करूणा, आत्मीयता, संवेदना व सहिष्णुता आदि गुणों को विकसित करने की जरुरत है। इससे शान्ति पूर्ण व अपराधमुक्त समाज का निर्माण हो सकता है। पीडितो के संरक्षण व पुनर्वास की जरूरत है साथ ही पीडितो को सम्मान से जीने लायक स्थिति में लाया जाए।सरकारों को धार्मिक व भावनात्मक मुद्दों के अलावा भी बच्चों व महिलाओं की शान्ति व सुरक्षा के मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
आपका अपना
सेवाभावी शुभचिंतक बिजेन्द सिन्हा
निपानी .पाटन .दुर्ग

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B. R. SAHU CO-EDITOR
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