रानीतराई :- स्व. दाऊ रामचंद्र साहू शासकीय महाविद्यालय रानीतराई में ”अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता” दिवस का आयोजन प्राचार्य डॉ. आलोक शुक्ला के मार्गदर्शन में किया गया। यह कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ और ‘इंडियन यूथ रेडक्रॉस सोसायटी’ की संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुभारंभ स्वामी विवेकानंद तथा सरस्वती माता के चित्रों पर पुष्पार्पण तथा दीप प्रज्वलन से हुआ। प्रथम सत्र में राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम प्रभारी सुश्री रेणुका वर्मा ने राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयं सेवकों एवं सहायक प्राध्यापकों को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर शपथ दिलाई। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम प्रभारी सुश्री रेणुका वर्मा ने कहा – साक्षरता दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1965 में ईरान के तेहरान में आयोजित शिक्षा मंत्रियो के विश्व सम्मेलन से हुई थी। इसके अगले वर्ष यानी 1966 में यूनेस्को ने अधिकारिक तौर पर 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषित किया था। यूथ रेड क्रास सोसाइटी के कार्यक्रम प्रभारी श्रीमती आराधना देवांगन ने कहा – इंसान का शिक्षित होना जरूरी होता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ही हर साल 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। यह युनेस्को की एक पहल है जो साक्षरता को एक मौलिक मानव अधिकार और सम्मान के रूप में महत्व देती है। साक्षरता को टिकाऊ समाज के निर्माण की नींव माना जाता है। जो लोगो को सशक्त बनाने और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय के विभागाध्यक्ष ने कहा किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार लाने के लिए उसका साक्षर होना बहुत जरूरी है और इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए हर साल विश्व साक्षरता दिवस 8 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को साक्षरता का महत्व याद दिलाना है कि साक्षरता हमारा अधिकार है। 21वीं सदी में भी लोगों में बुनियादी साक्षरता को लेकर बेहद कम जागरूकता है। मनुष्य के विकास और एक स्थायी वातावरण बनाने के लिए साक्षरता और शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।
हर साल विश्व साक्षरता दिवस को एक अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल की थीम ‘डिजिटल विश्व में साक्षरता’ है। शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बाधाएं आयी हैं, इसलिए शिक्षा के विभाजन को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने इस साल की थीम ‘मानव-केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता: डिजिटल विभाजन को कम करना’ रखी है।
विश्व साक्षरता दिवस को मनाने का उद्देश्य ही दुनियाभर में शिक्षा के महत्व के बारे में बताना, शिक्षा का प्रसार और प्रचार करना है। हर साल विश्व साक्षरता दिवस 8 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1966 में हुई थी।
कार्यक्रम का द्वितीय सत्र में निबंध प्रतियोगिता आयोजित किया गया। जिसका विषय – “डिजिटल
साक्षरता का महत्व एवं सावधानियां ” था। इस निबंध प्रतियोगिता में मुस्कान साहू बीए- प्रथम सेमेस्टर, मानसी निषाद बीए-प्रथम सेमेस्टर, देवयानी बीए-प्रथम सेमेस्टर, चांदनी निषाद बीए- द्वितीय वर्ष, चांदनी निषाद बीए-द्वितीय वर्ष, दुर्गेश सेन बीएससी- द्वितीय वर्ष, भावना बीएससी- तृतीय वर्ष, नेहा साहू बीए-तृतीय वर्ष, लक्ष्मी सिन्हा ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम में प्रथम स्थान मुस्कान साहू बीए-प्रथम सेमेस्टर, द्वितीय स्थान दिव्यानी बीए-प्रथम सेमेस्टर, तृतीय स्थान चांदनी गेडाम बीए-द्वितीय ने प्राप्त किया।
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के वरिष्ठ समस्त सहायक श्री चंदन गोस्वामी, सुश्री भारती गायकवाड, श्रीमती शगुफ्ता सिद्दीकी, श्रीमती अंबिका ठाकुर बर्मन अतिथि व्याख्याता में श्री टिकेश्वर कुमार पाटिल, सुश्री शिखा मढ़रिया, सुश्री अंजली देवांगन , डा. दीपा बाईन, कार्यालयीन कर्मचारी मे श्री नरेश मेश्राम, सुश्री सीमा वर्मा,मोहित एवं समस्त राष्ट्रीय सेवा योजना के महादल नायक दुर्गेश वर्मा, चेतना एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के समस्त छात्र-छात्राए अधिक संख्या में उपस्थित थे।