✍️ छत्तीसगढ़ 24 न्यूज़ जिला ब्यूरो चीफ सैयद बरकत अली की रिपोर्ट गरियाबंद
गरियाबंद : गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लॉक नवीन तहसील कोर्ट अमलीपदर से लगभग 5 कि.मी.दूर ग्राम पंचायत गोढियारी में स्थित धार्मिक पर्यटन स्थल कांदाडोंगर पहाड़ है। जहाँ पर प्रत्येक वर्ष चौरासीगढ़ के लोगों द्वारा नवरात्रि पर्व के पावन अवसर पर विजयदशमी के दिन देव दशहरा पर्व को बडे़ ही धूमधाम से मनाया जाता हैं। ज्ञात हो कि मान्यता के अनुसार कांदाडोंगर में त्रेतायुग युग से निरंतर दशहरा पर्व मनाते चले आ रहे हैं।
भीड़ को शांति व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस जवानों के द्वारा इस देवी स्थल पर सहयोग देने के लिए पहुंचे हुए श्री चंदन मरकाम थाना प्रभारी अमलीपदर एवं उनके जवान नकुल सॉरी और रिजवान कुरेशी के मार्गदर्शन पर अमलीपदर क्षेत्र में कांदा डोंगर दशहरा में शासकीय नवीन महाविद्यालय गोहरापदर के प्रिंसिपल डॉ टी.एस. सोनवानी और प्रोफ़ेसर दीपेंद्र बघेल जी के मार्गदर्शन पर उनेक छात्र (NSS) के लीडर बालकृष्ण दुर्गा व (NSS) के छात्र विष्णु सोना लोकेश कुमार नायक जशमोध चक्रधारी व पुर्चन यादव अमलीपदर थाना के जवानों के साथ दशहरा में अपना सहयोग प्रदान की जवानों की देखरेख में लाखों की तादाद भीड़ में शांति व्यवस्था के साथ पर्यटक स्थल कांदा डोंगर दशहरा को भली-भांति मनाई गई।
जिसके पिछे अनेक ऐतिहासिक,धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित है। कहा जाता है कि वनवास काल के दौरान सीता माता की खोज में भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी दण्ड कारण्य कहा जाने वाला इस कांदाडोंगर पर्वत क्षेत्र में आये थे। तथा इसी पर्वत के दक्षिण दिशा में स्थित जोगीमठ में तपस्यारत ऋषि सरभंग से मिले,और यहाँ के कंदमूल खाकर कुछ पल बिताए थे। और इसी मार्ग से होते हुए भद्राचलम के लिए प्रस्थान किए थे। कहा जाता है कि रावण वध करके जब भगवान श्री राम अयोध्या वापस लौट रहे थे तब इस बात की खबर सुनते ही इस क्षेत्र के चौरासीगढ़ के देवी देवता अपना ध्वज पताका लेकर कांदाडोंगर में एकत्रित हुए थे।
तथा असत्य पर सत्य की जीत की खुशी मनाये थे। तब से लेकर आज पर्यन्त तक यह परम्परा हमेशा से चलते आ रहा है। कांदाडोंगर के इसी पर्वत श्रेणी के ऊपर गुफा में चौरासीगढ़ की प्रमुख देवी माँ कुलेश्वरीन,खम्बेश्वरीन विराजमान हैं। तथा साथ में कचनाध्रुवा जी भी यहाँ विराजमान हैं। जिनका विजया दशमी के दिन विधि-विधान से यहाँ के झांकर पुजारियों द्वारा आदिवासी परम्परा अनुरूप पूजा-अर्चना किया जाता है। इतना ही नही बल्कि यहाँ के दशहरा मड़ई मेला में चौरासी गढ़ के देवी-देवता अपना ध्वज पताका लेकर यहाँ पहुचते हैं।
लाखों की तादाद में यहाँ पर क्षेत्रभर के श्रद्धालु भक्तों का तांता लगता है। यहाँ के दशहरा पर्व की एक और विशेषता है कि इस दिन देवी देवता सुवा नृत्य करते हैं। जिनका दर्शन कर समस्त क्षेत्रवासी आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि यहाँ विराजित देवी माँ कुलेश्वरीन भक्तों के सभी मनोकामना पुरी करती है।
कांदाडोंगर में ऐतिहासिक गुफाएं मौजूद
ज्ञात हो कि पर्वत श्रेणी में कई प्रचलित गुफाएं हैं जिसे इज भी यहाँ के रहवासी हनुमान झुला, लक्ष्मण झुला,और भीम खोज नामक गुफा से जानते हैं इतना ही नही बल्कि इस खूबसूरत कांदाडोंगर पर्वत में प्राकृतिक संपदा का भंडार है!जहाँ साल सागौन,इमारती लकड़ी,फलदार वृक्ष के अलावा अनेक जडी़बुटी जैसे उपयोगी सघन वन हैं!जिसके संरक्षण की विशेष आवश्यकता है।
कांदाडोंगर को पूर्ण पर्यटन स्थल का मिले दर्जा
कांदाडोंगर के अनेक ऐतिहासिक मान्यताओं और लाखों श्रद्धालु भक्तों के धार्मिक आस्था का केन्द्र होने के बावजूद आज तक कांदाडोंगर को पूर्ण पर्यटन स्थल का दर्जा नही मिल पाया है!जबकि क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन प्रशासन से कई दफा मांग किया जा चुका है!क्षेत्रवासियों को भी बरसों से इसी बात का इंतजार है कि कब कांदाडोंगर को पूर्ण पर्यटन स्थल का दर्जा मिलेगा!यदि शासन प्रशासन इसे पूर्ण पर्यटन का दर्जा देती है तो क्षेत्र के हजारों बेरोजगारों को रोजगार का अवसर मिलेगा!इसी आस में बेरोजगार भी बाट जोह रहे हैं!इस तरह कांदाडोंगर गरियाबंद जिले का एक अनमोल धरोहर है!जिसे शासन प्रशासन को संज्ञान लेकर शीघ्र ही पूर्ण पर्यटन का दर्जा देना चाहिए!जो क्षेत्रवासियों का बरसों पुरानी मांग है।