गरियाबंद। आगामी नवम्बर माह में नगरीय निकायों के चुनाव संभावित है। ऐसे में शहरी क्षेत्रों में राजनैतिक सरगर्मियां लगातार बारिश के बाद भी तेज हो रही है। नगर में व्याप्त अनेक प्रकार की अफवाहों चर्चाओं के बीच हमने नगर की राजनीति में सक्रिय कुछेक व्यक्तियों ,कुछ राजनैतिक पार्टी कार्यकर्ताओं, साथ ही आम जनता से जानना चाहा कि वे अब की बार कैसा चुनाव चाहते हैं ? दरअसल ये सवाल इसलिये उठता है कि अक्सर सरकार बदलने के साथ ही साथ निकाय चुनावों में अध्यक्ष / महापौर पद की निर्वाचन प्रक्रिया भी बदलती रही है।
शहरी मतदाताओं द्वारा 2014 में वार्ड पार्षद सहित नगर अध्यक्ष पद के लिये भी मतदान किया गया था, जबकि 2019 में अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों द्वारा किया गया।
वर्तमान परिदृश्य में नगर पालिका परिषद गरियाबंद के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोनटके कहते हैं कि, चुंकि अध्यक्ष पूरे नगर की जनता का नेतृत्वकर्ता होता है, इसीलिये अध्यक्ष चुनने का अधिकार जनता को ही मिलना चाहिये। नगर के वरिष्ठ पत्रकार साथ ही बीजेपी कार्यकर्ता राधेश्याम सोनवानी कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियां, स्थानीय वार्ड निवासी को ही पार्षद प्रत्याशी घोषित करें, जहां तक हो सके स्थानीय वार्ड निवासी को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
वर्तमान नगर पालिका सभापति/ पार्षद आसिफ मेमन, नगर की राजनीति के वरिष्ठतम व प्रतिष्ठित व्यक्तियों की सूचि में आते हैं,उनका भी स्पष्ट अभिमत है कि अध्यक्ष पद के लिये चुनाव का अधिकार सीधे जनता को ही मिले, इससे सभी को समान अवसर मिलेगा। मताधिकार ही जनता की ताकत है।
नगर में कांग्रेस पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता मुकेश रामटेके कहते हैं कि जिस प्रकार ग्रामीण जनता को अपना मुखिया ( सरपंच ) चुनने का अधिकार मिला है उसी प्रकार नगरीय क्षेत्र के मतदाताओं को भी अपना अध्यक्ष चुनने का अधिकार मिलना चाहिये, यही जन भावना के अनुरूप और संवैधानिक होगा, अन्यथा सिर्फ पूंजीपति और बाहुबली सत्तासीन होते रहेंगे।
रामटेके नगरीय प्रतिनिधित्व में आरक्षण पर भी अपने विचार अभिव्यक्त करते हैं, उनके मतानुसार वार्डों में आरक्षण मतदाताओं की संख्या के आधार पर किया जाना चाहिये, यथा जहां एसटी वर्ग की संख्या अधिक हो वहां उसी वर्ग के लिये आरक्षण होना चाहिये।
बाबा सोनी कहते हैं कि नगर अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता के द्वारा साथ ही निष्पक्ष किया जाना चाहिये, स्थानीय प्रशासन सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों के दबाव में ना रहे, यह भी देखा जाना चाहिये, निष्पक्ष और प्रत्यक्ष चुनाव होना चाहिये।
कंग्रेस समर्थित पूर्व में अध्यक्ष पद की प्रत्याशी रही ललिता दिलीप सिन्हा कहती है कि अध्यक्ष पद के लिये सीधे चुनाव से महिलाओं को भी समान अवसर मिलेगा।
नगर के आम नागरिक राकेश सोनी कहते हैं कि नगर अध्यक्ष सीधे जनता द्वारा ही निर्वाचित किये जाने की व्यवस्था होनी चाहिये और सरकारों के आने जाने पर भी इस व्यवस्था में परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि पार्षदों द्वारा अध्यक्ष चयन किये जाने पर खरीद फरोख्त की आशंका होती है। इसीलिये नगरीय अध्यक्ष का चुनाव जनता द्वारा ही जनता के लिये किया जाना उचित और सर्वमान्य होगा।