रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने 117 साल पुराने रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है। इसके तहत अब यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को पेश कराकर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवाता है, तो ऐसी रजिस्ट्री को पंजीयन महानिरीक्षक (आईजी रजिस्ट्री) सीधे रद्द कर सकेंगे। पहले ऐसे मामलों को कोर्ट में लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था, जिसमें सालों लग जाते थे।
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इस मामले में अब राज्य सरकार ने यह भी प्रावधान किया है कि यदि कलेक्टर को किसी शिकायत या स्वयं की जांच में पता चलता है तो वे भी वे भी एक्शन ले सकते हैं। इसमें जो प्रावधान किए गए हैं, वे यह हैं- सरकारी या सार्वजनिक भूमि को गलत तरीके से रजिस्टर्ड करवाकर हस्तांतरित किया गया है। निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। ऐसे मामलों में कलेक्टर महानिरीक्षक पंजीयन या राज्य सरकार को रजिस्ट्री रद्द करने की सिफारिश कर सकेंगे। इसके बाद आईजी रजिस्ट्री या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित प्राधिकारी ऐसी रजिस्ट्री को निरस्त कर सकेंगे।

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*प्रभावित व्यक्ति को 30 दिनों के अंदर करना होगा अपील* : यदि आईजी रजिस्ट्री या राज्य सरकार किसी दस्तावेज को निरस्त करती है, तो प्रभावित व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर पंजीयन विभाग के सचिव के पास अपील करने का अधिकार होगा। सचिव आवेदन पर विचार करके आदेश को बरकरार रखने, संशोधित करने या रद्द करने का निर्णय ले सकेंगे।
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*इन मामलों में रजिस्ट्री होगी रद्द?* : किसी व्यक्ति द्वारा कार्यान्वयन – यदि किसी दस्तावेज को किसी दूसरे व्यक्ति को पेश कराकर रजिस्टर्ड कराया गया हो और यह किसी के हितों को नुकसान पहुंचाता हो।
बिना अनुमति के रजिस्ट्री – यदि किसी अधिनियम के तहत आवश्यक अनुमति के बिना दस्तावेज पंजीकृत किया गया हो।
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प्रतिबंधित खसरा दस्तावेज – यदि राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित प्रतिबंधित खसरा दस्तावेज को रजिस्टर्ड कर लिया गया हो। तो महानिरीक्षक पंजीयन या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित प्राधिकारी स्वयं की पहल पर (स्वप्रेरणा) या लोक प्राधिकारी की शिकायत पर भी फर्जी रजिस्ट्री को रद्द कर सकेंगे।