गरियाबंद। ग्रीष्म कालीन धान की फसल के लिये भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन किया जाता है। जिले में विगत वर्ष रबी सीजन में 11952 हेक्टेयर में ग्रीष्म कालीन धान की खेती की गई थी। आपको बता दें कि जिले के देवभोग व फिंगेश्वर ब्लॉक के कुछ भाग में भू -जल की स्थिति चिंताजनक है। ग्रीष्म ऋतु में धान की फसल के लिये बहुत अधिक मात्रा में भू – जल का दोहन किया जाता है, जिससे भविष्य में जल संकट की स्थिति निर्मित होने की संभावना है। लगातार धान की फसल उपजाने से खेत की मृदा उर्वरता को भी नुकसान होता है।
इस संबंध में कलेक्टर गरियाबंद दीपक कुमार अग्रवाल द्वारा जिले के समस्त अनुविभागीय अधिकारीयों ( रा ) तहसीलदारों, सीईओ जनपद पंचायत, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारियों एवं उद्यान अधिकारी को पत्र लिखा गया है, जिसके अनुसार ग्रीष्म कालीन धान के स्थान पर दलहन, तिलहन, लघु धान्य एवं उद्यानिकी फ़सलें लेने का लक्ष्य निर्धारित करने साथ ही इसके क्रियान्वयन की नियमित समीक्षा करने लेख किया है।
कलेक्टर द्वारा फसल परिवर्तन की सफलता के लिये कृषि,उद्यानिकी, पंचायत एवं राजस्व अधिकारियों कर्मचारियों के साथ- साथ, स्थानीय जन प्रतिनिधियों की सहभागिता की भी अपेक्षा व्यक्त की गई है।
किसानों के बीच ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर, गेंहू मक्का रागी चना सरसों अलसी मसूर मटर मूंगफली सब्जी फूल जैसी फसलें लेने के लिये अधीनस्थ अमलों, कृषि सखी, कृषक मित्र आदि के द्वारा व्यापक प्रसार प्रचार तथा प्रत्येक गांव में कोटवार के द्वारा मुनादी कराई जायेगी।