सरकारें बदलती रही किन्तु स्कूल शिक्षा विभाग के दैवेभो कर्मी आज भी नियमितीकरण से महरूम

2006 – 7 में नियुक्ति के समय भाजपा की सरकार थी , फिर कांग्रेस की सरकार आई और चली गई, अब फिर भाजपा की सरकार है किंतु स्कूल शिक्षा विभाग के ये कर्मी ….

किरीट भाई ठक्कर, गरियाबंद। वर्ष 2006 – 7 में जिला अंतर्गत आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्कूलों आश्रम छात्रावासों में भृत्य चौकीदार रसोइया जैसे पदों पर दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की नियुक्ति की गई थी। सम्भवतः 2015 में आदिम जाति कल्याण विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग को अलग अलग कर दिया गया। जानकारी के अनुसार जिले में 2006 -7 में लगभग 131 दैवेभो कर्मियों को कलेक्टर दर पर नियुक्त किया गया था, विभागों के बंटवारे के बाद इनमें से जो 90 कर्मी आदिम जाति कल्याण विभाग के आश्रम छात्रावासों कार्यरत रहे, उन्हें आदिम जाति तथा अनुसूचित विकास विभाग मंत्रालय के आदेशानुसार 2022 में, कार्यभारित तथा आकस्मिता निधि स्थापना सेवा नियम के प्रावधान के तहत रसोइया, भृत्य, चौकीदार के स्वीकृत पद में समायोजित कर दिया गया।

जबकि स्कूल शिक्षा विभाग में कार्यरत लगभग 41 दैवेभो कर्मियों को नियमित वेतनमान का लाभ आज तक नही मिल पाया है। 2006 – 7 में नियुक्ति के समय भाजपा की सरकार थी , फिर कांग्रेस की सरकार आई और चली गई, अब फिर भाजपा की सरकार है किंतु स्कूल शिक्षा विभाग के ये कर्मी आज भी कलेक्टर दर पर कार्यरत है।

अधिकारी दर अधिकारी भटकते दैवेभो कर्मी राजकुमार यादव, टिकचंद यादव, महिला कर्मी लुमेश्वरी निषाद, मदनमंगल दंता, रूपेंद्र यादव बेहद मायूश हो चुके हैं। अपने अधिकार के लिये किस किस के पास जायें? क्या करें ये भी उन्हें समझ नहीं आ रहा है, लिहाजा कभी कलेक्टर के द्वार से सहायक आयुक्त की चौखट और वहां से भी ठेले जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी का दरवाजा खटखटाते है।
अधिकारियों का कहना है कि नियमतिकरण हमारे हाथ की बात नहीं है। कैबिनेट प्रस्ताव के बाद ही इनके नियमतिकरण की संभावना है, जिसके लिये इन्हें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों तक अपनी बात पहुँचानी होगी।

"छत्तीसगढ़ 24 न्यूज़" के लिए किरीट ठक्कर की रिपोर्ट
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किरीट ठक्कर "छत्तीसगढ़ 24 न्यूज़" संवाददाता

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