तहसीलदारों से काम करवाने की प्रशासनिक मंशा को लगा तगड़ा झटका

रायपुर/संतोष देवांगन : छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा एस्मा लगा दिए जाने के बाद हड़ताली पटवारियों में रोष देखने को मिल रहा है। वही दूसरी ओर पटवारियों की हड़ताल के दौरान तहसीलदारों से काम करवाने की प्रशासनिक मंशा को तगड़ा झटका लगा है। आपको बता दे कि कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने पत्र जारी कर किसी भी तहसीलदार या फिर नायब तहसीलदार को पटवारियों का काम नहीं करने के निर्देश दिए हैं। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पटवारियाें का काम करने से किसानों की मुश्किलें कम होने की बजाय और भी बढ़ने की संभावना ज्यादा है।

किसान को झेलनी पड़ेगी कई पेशियां : क्योंकि वर्तमान में ज्यादातर खसरों की टुकड़ों में रजिस्ट्रियां होती हैं. पूरा-पूरा खसरा और रकबा की रजिस्ट्री होती है. तो नक्शा काटने की जरूरत नहीं होती है। जबकि टुकड़ों में रजिस्ट्री होने से बिना नक्शा काटे रिकार्ड दुरुस्तीकरण संभव नहीं है। वहीं, नक्शा काटने का काम बिना मैनुअल नक्शा देखे संभव नहीं है। इसकी वजह से अगर तहसीलदार से किसी प्रकार की गलती हो गई, तो सुधार के लिए एसडीएम के पास आवेदन करना होगा और फिर आदेश तहसीलदार के पास आएगा, इस पूरी प्रक्रिया में किसान को कई पेशी झेलनी पड़ेगी और परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में संघ ने पटवारियों का काम करने से किनारा कर लिया है।

पटवारी आंदोलन छोड़ने को तैयार नहीं : आपको बता दे कि पटवारियों की हड़ताल अब भी जारी है। हड़ताल को खत्म करने को लेकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के सख्त निर्देश के बाद प्रशासन की ओर से इनके खिलाफ एस्मा लगा दिया गया है। इसी बीच पटवारी आंदोलन छोड़ने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नही की जाती वे हड़ताल पर डटे रहेंगे। बताया जाता है की दुरुस्ती के बाद डीएससी रिकार्ड पटवारी के पास रहता है, जो पटवारी ही कर सकते हैं। ऐसे में अगर डीएससी रिकार्ड को लाक कर तहसीलदारों को यह काम दिया जाएगा, तो नियंत्रण और पर्यवेक्षण का काम भी नहीं हो पाएगा। यानी कि तहसीलदार अपनी मर्जी से ही कार्य करेगा, फिर सही और गलत जांचने की भी संभावना नहीं रहेगी।

प्रदेशभर के राजस्व न्यायालयों में 1.40 लाख मामले लंबित : बतादे कि वर्तमान में राजस्व विभाग द्वारा सीधे तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को टारगेट किया गया है, जबकि पटवारी से ऊपर एक सर्किल में आरआइ(RI) होते हैं, उनसे भी यह कार्य करवाया जा सकता है। इसके अलावा भू-अभिलेख के सहायक संचालक सहित अन्य कई कर्मचारी हैं, जिन्हें यह कार्य दिया जा सकता है। बताया जा रहा है की पटवारियों कि हड़ताल से प्रदेशभर में राजस्व न्यायालयों में लगभग 1.40 लाख मामले लंबित हैं। जिसमें सर्वाधिक मामले रायपुर राजधानी में 8,262 मामले हैं। वहीं, 22 जिले ऐसे हैं जहां तीन हजार से ज्यादा मामले लंबित चल रहे हैं। इसके अलावा सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर में हजार से भी कम मामले लंबित पड़े हुए हैं।

किसानों की मुश्किलें कम होने की बजाय और बढ़ेंगी : वही छत्‍तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के प्रांताध्यक्ष कृष्ण कुमार लहरे ने कहा है कि. शासन की योजना का किसानों को लाभ मिले यह हम चाहते हैं। मगर हम पटवारियों का काम करेंगे, तो किसानों की मुश्किलें कम होने की बजाय और बढ़ेंगी. इस वजह से हम इसका विरोध कर रहे हैं। क्याेंकि इसमें कई तरह की तकनीकी दिक्कतें हैं, जिसकी वजह से भविष्य में परेशानियां होना तय है।

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