किरीट भाई ठक्कर ,गरियाबंद।। जिले के मैनपुर विकास खंड अंतर्गत उदन्ती सीतानदी टाईगर रिजर्व कोर एवं बफर जोन वन भूमि में अनेक वर्षों से बसे आदिवासियों को उप निदेशक तथा वन अमले के द्वारा मारपीट कर खदेड़ दिया गया है , साथ ही उनके घरों को जेसीबी मशीन लगाकर तोड़ फोड़ दिया गया है , उक्त कार्यवाही के विरोध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 9 मार्च से जिला मुख्यालय के गांधी मैदान में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करने जा रही है। गोंगपा के जिला अध्यक्ष टीकम नागवंशी के अनुसार इस संबंध में कलेक्टर गरियाबंद को ज्ञापन सौंपा गया है।
कई जगह शिकायत , नही हुई कार्यवाही , अब धरना प्रदर्शन

टीकम नागवंशी के अनुसार टाईगर रिजर्व कोर बफर जोन में बसे 3 आदिवासी गांवों को उजाड़ दिया गया,लोगों को घरों से बेघर कर दिया गया मारपीट की गई। इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों पर 5 वीं अनुसूची, पेशा एक्ट, ग्राम सभा तथा वन अधिकार अधिनियम के तहत कार्यवाही होनी चाहिये। मामले की शिकायत कलेक्टर गरियाबंद, अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग रायपुर ( छ ग) मानव अधिकार आयोग रायपुर, महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ शासन तक की गई है।

इन गांवों को उजाड़ा
मिली जानकारी के अनुसार 4 अप्रैल 2023 को ग्राम पंचायत कोयबा के आश्रीत गांव सोरनामाल को उजाड़ा गया। यहां 70 मकानों में लगभग 250 की संख्या में विशेष जन जाती कमार भुंजिया एवं गोंड निवास करते थे।
ग्राम पंचायत मदांगमुडा के आश्रीत गांव गोहरामाल को 26 मई 2023 को उजाड़ा गया। यहां भी लगभग 300 गोंड जनजाति व अन्य परंपरागत वन वासी रहते थे।
ग्राम पंचायत साहेबिन कछार के गांव इचरादी को 27 मई 2023 को उजाड़ा गया। कार्यवाही के दौरान मारपीट भी की गई और कुछ लोगों को जेल भी भेजा गया।
बड़ा सवाल
टाईगर रिजर्व के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2023 में गुगल मैप के आधार पर वर्ष 2008 से 2020 के मध्य वन भूमि पर आदिवासियों को अनुचित तरीके से काबिज बताकर गांवो को उजाड़ा गया। अब सवाल उठता है कि जिस रिजर्व क्षेत्र के लिए वर्षों अलग विभाग और अमला है , जो महीने दर महीने सरकारी तनख्वाह वनों की सुरक्षा के नाम पर ले रहा है , 10 से 12 वर्षो के बीच, जब लोगों ने वहां बसना शुरू किया, जंगल काटकर खेती की जमीन तैय्यार कर चुके तब तक वन कर्मी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कैसे कर रहे थे।
राष्ट्रीय पटल पर चिन्हित उदन्ती सीतानदी टाईगर रिजर्व के कोर और बफर जोन एरिया में वन कर्मियों के रहते इतने बड़े पैमाने पर वन क्षेत्र के बड़े भूभागों पर अतिक्रमण कैसे हो गया ? गांव के गांव बस गये ,इतना ही नही इन बसाहटों में शासन की मूलभूत सुविधाएं यथा हेण्डपम्प स्कूल ग्रामीण सड़क सौर ऊर्जा भी उपलब्ध हो रही थी।
आरोप है कि वर्ष 2006 से 2023 तक जिला मुख्यालय से लेकर वन परिक्षेत्र में पदस्थ वनअधिकारियों कर्मचारियों द्वारा अपने निजी हित व स्वार्थ में कोर एवं बफर जोन एरिया में अतिक्रमण करवाया गया। गोंगपा का सवाल है कि क्या संवैधानिक कानून सिर्फ मजबूर असहाय गरीब आदिवासियों के लिये है, ताली एक हाथ से कदापि नही बजती, ऐसे में उक्त समयावधि में पदस्थ समस्त वन कर्मियों पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिये। गोंगपा की मांग है कि भारत सरकार वन अधिनियम 1972 की धाराओं के तहत वर्ष 2006 से 2023 के मध्य रिजर्व क्षेत्र में पदस्थ वन अधिकारियों / कर्मचारियों पर कठोर कानूनी कार्यवाही की जाये।
अधिकारी कर्मचारियों के बीच आरोप प्रत्यारोप

उदन्ती सीतानदी अभ्यारण के कोर व बफर जोन एरिया में लगातार कार्यवाही के बाद इस विभाग में पदस्थ अधिकारियों कर्मचारियों के बीच ही ठन गई। उपनिदेशक वरुण जैन द्वारा पीसीसीएफ को 30 जनवरी को सौंपी गई सैकड़ों पन्नो की रिपोर्ट में रिसगांव क्षेत्र में तैनात वन अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत का खुलासा किया। रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सागौन वृक्षो की कटाई और तस्करी वन अमले के सरंक्षण में ही हो रही थी।