रतन टाटा अनुपम व्यक्तित्व अभिप्रेरिक कृतित्व के महाप्रादर्श – डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी

राजनांदगांव । अखिल विश्व में लोकप्रिय भारतीय उद्योग जगत के महान दिग्गज टाटा उद्योग समूह वर्षो तक शीर्ष पदस्थ रहे रतन नवल टाटा के आकस्मिक निधन पर नगर के विचारप्रज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने अपनी गहन संवेदनाओं के साथ विनम्र श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए चिंतन विमर्श में कहा कि, भारतीय उद्योग की सूरत और सीरत बदलने वाले दृढ़ संकल्पी अनुशासन प्रिय, शांत स्वभाव, विनम्रता और सादगी जैसे सदगुणों के सहज प्रतिबिम्ब रतन टाटा द्वारा स्थापित महत्तम शिक्षा, संस्था स्वास्थ्य सेवा केन्द्र,  ग्रामीण विकास संस्थान एवं सामाजिक उत्थान की अनेक परियोजनाएं उनकी की महान उपलब्धियों में गिनी जाती है।

उल्लेखनीय है समग्र देश-धरती को ,,कारोबार से परोपकार,, जैसी बड़ी सीख देने वाले रतन टाटा जी सहज – सरल रूप में अनुपम व्यक्तित्व और अभिप्रेरक कृतित्व के महाप्रादर्श थे। आगे डॉ. द्विवेदी ने विशेष रूप से बताया अपने बाल्यकाल से परिवार की बड़ी बुजुर्ग अपनी दादीश्री के वात्सल्यपूर्ण लालन-पालन और संरक्षण में बड़े हुए रतन जी उच्च शिक्षित भारतीय मूल्यों को मंशा-वाचा-कर्मणा से धारण और अभिपालन करने में विश्वास रखने वाले अनूठे महामानव हुए।

राष्ट्र निर्माण में अपनी पैसठ प्रतिशत संपत्ति संमर्पित करने वाले, कोरोना काल में 1500करोड़  का विशाल दान करने वाले रतन टाटा ने ही आम देशवासियों को लकटकिया नैनो कार तथा टाटा उद्योग समूह के विदेशों में न केवल विस्तारित किया बल्कि संपूर्ण उद्योग जगत में टाटा उद्योग समूह को विशेष पहचान देकर कार्पोरेट जिम्मेदारी को ही विशेष रूप से परिभाषित करते हुए बताया कि व्यवसायों को व्यापक भलाई के लिए ही होना चाहिए इसीलिए संपूर्ण जगत के लोग हृदय से बोलते हैं कि रतन टाटा जैसा कोई नहीं।

उद्योग जगत के अनमोल रत्न रतन टाटा की विशुद्ध राष्ट्रव्यापी सोच, दयालूता, दूररसता पूर्ण, नेतृत्व क्षमता तथा राष्ट्रहित ही सर्वोपरि, की सर्वश्रेष्ठ अवधारणा को वर्तमान एवं भविष्य की पीढिय़ां वर्षो-बरस तक स्मृत कर प्रेरित होती रहेंगी। आइये माँ भारती के महा उद्यमी सपूत को श्रेष्ठ-सार्थक अर्थो में श्रद्धासुमन अर्पित करें और अपने सर्वकर्म कार्य देशहित में ही करें।

 

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