रानीतराई :- स्व. दाऊ रामचंद्र साहू शासकीय महाविद्यालय रानीतराई में वीर बाल दिवस का आयोजन प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार मिश्रा के निर्देशन में किया गया। कार्यक्रम प्रभारी श्री चंदन गोस्वामी के नेतृत्व में वीर बाल दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती माता के छाया चित्र पर पुष्पार्पण एवं सरस्वती वंदन से हुआ। कार्यक्रम का संचालन सुश्री रेणुका वर्मा ने किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अरुण कुमार मिश्रा ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार की शहादत को आज भी इतिहास की सबसे बड़ी शहादत माना जाता है। छोटे साहिबजादों का स्मरण आते ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है और सिर श्रद्धा से झुक जाता है। 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी के साहस को श्रद्धांजलि देने के लिए वीर बाल दिवस पूरे देश-विदेश में मनाया जाता है। गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब उस स्थान पर खड़ा है, जहां साहिब जादों ने आखिरी सांस ली।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में श्री चंदन गोस्वामी ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि शासक अकबर की इतिहास बताते हुए औरंगजेब पर प्रकाश डाले। वीर बाल दिवस 26 दिसंबर को मनाया जाता है, जो उन बच्चों की याद में मनाया जाता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता और एकता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। यह दिवस उन वीर बच्चों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने अपनी जवानी में ही देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
वीर बाल दिवस का इतिहास भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य उन वीर बच्चों की याद को ताज़ा रखना और उनकी वीरता और बलिदान को सम्मान देना है।
वीर वीरता और बलिदान का सम्मान वीर बाल दिवस उन वीर बच्चों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता और एकता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता वीर बाल दिवस देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देता है।
वीर बाल दिवस के अवसर पर बीए तृतीय वर्ष की छात्रा नेहा निषाद और नेहा साहू ने अपने विचार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त सहायक प्राध्यापक सुश्री भारती गायकवाड़, श्रीमती शगुफ्ता सिद्दीकी, श्रीमती आराधना देवांगन अतिथि व्याख्याता में श्री टीकेश्वर कुमार पाटिल, सुश्री शिखा मडरिया, डॉ दीपा बाईन, दानेश्वर प्रसाद एवं महाविद्यालय के समस्त छात्र-छात्राएं अधिक संख्या में उपस्थित थे।