दुर्ग : सतनाम भवन दुर्ग में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में जिला स्तरीय सत्संग का कार्यक्रम आयोजन किया गया जिसमें दूर क्षेत्र से आए लोगों को सत्संग श्रवण करने का मौका मिला। गीता अध्याय 4 शोक 34 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि परमातम तत्व की जानकारी केवल और केवल तत्वदर्शी संत के पास है क्योंकि तत्वदर्शी संत ही 4 वेद, 6 शास्त्र , 18 पुराण और सभी धर्म ग्रंथो से सार निकालकर एक पूर्ण ब्रह्म को पाने की जानकारी देता है।
गीता चार वेदों का सार है , आदि सनातन कि हम बात करते हैं तो उसकी संपूर्ण विधि गीता में वर्णित है पर आज का भ्रमित समाज हजारे धर्मगुरु के गलत ज्ञान और भक्ति साधना में ऐसे आसक्त हो गए हैं कि वह अपने सद ग्रंथो को समझना नहीं चाहते क्योंकि गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 16 के 23 और 24 में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है की जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करता है उसको किसी भी प्रकार की सुख व गति नहीं हो सकती।
गीता अध्याय 15 के श्लोक एक में जो उल्टे संसार रूपी पीपल के पेड़ के बारे में बताया गया है उसी के अनुसार ही हमें भक्ति साधना करना पड़ेगा। आज से 600 साल पहले कबीर परमात्मा स्वयं तत्वदर्शी संत की भूमिका निभाएं थे और आज विश्व में संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी संत है जो हमारे सभी धर्म शास्त्रों को दिखा भी रहे हैं और विस्तार से बता भी रहे जिससे उनके अनुयायियों को आर्थिक, सामाजिक सभी प्रकार के लाभ प्राप्त हो रहे हैं। क्योंकि सर्व समाज भक्ति तो कर रहे हैं फिर भी दुखी है कारण यही है कि हम अपने वर्णित ग्रंथो से अलग होकर मनमाना आचरण कर रहे हैं।
आज हम शिक्षित है और इस शिक्षा का हमें लाभ उठाना चाहिए हमें अपने सद ग्रंथो को अच्छे से अध्ययन करना चाहिए और उसमें निहित भक्ति विधि साधना को अपनाना चाहिए जिससे हमें मोक्ष तो मिलेगा और इस लोक में सर्व सांसारिक लाभ भी मिलेंगे। संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों के माध्यम से हमें अपने ग्रंथो की संपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। तो सर्व समाज समुदाय से अनुरोध है कि संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुने और उनकी भक्ति विधि साधना को अपनाकर अपने मानव जीवन का कल्याण करें। और भी अनेक मंगल प्रवचन संत रामपाल जी महाराज के माध्यम से सुनने को मिला जिसमें ब्लॉक सेवादार, जिला सेवादार, क्षेत्रीय सेवादार उपस्थित थे।