किरीट भाई ठक्कर, गरियाबंद। जल संसाधन विभाग की महति योजना, सिकासेर – कोडार लिंक परियोजना से स्थानीय किसान सहमत नहीं है। आगामी दिनों में इस योजना के विरोध की पूरी संभावना है। रविवार 1 सितम्बर को इस परियोजना के संबंध में, जिले के पीपरछेड़ी – रसेला क्षेत्र के 21 गांवों के किसानों की बैठक आहूत की गई, इस बैठक में बिन्द्रानवागढ़ विधायक जनक ध्रुव भी उपस्थित रहे। बैठक में किसानों ने बात रखी कि सिकासेर जलाशय हमारे क्षेत्र में है और उसका केचमेंट एरिया भी हमारे ही क्षेत्र में है इसके बावजूद उक्त बांध का पानी क्षेत्रवासियों को ही नही मिलता, इस बांध से राजिम क्षेत्र को ही विशेष सिंचाई सुविधा मिली हुयी है जबकि बांध बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र में निर्मित है।
जिले का वृहद जलाशय है सिकासेर और आधा क्षेत्र सिंचाई से वंचित
विभागीय जानकारी के मुताबिक सिकासेर बांध की कुल जल भराव क्षमता 200 मिलियन टन घनमीटर है और खरीफ सीजन में 90 गांवों के 39 हजार हेक्टेयर में सिंचाई के लिये पानी दिया जाता है। दुविधा ये है कि जिस क्षेत्र में इस जलाशय का निर्माण हुआ है उसी क्षेत्र में पर्याप्त सिंचाई सुविधा नहीं है। इस बांध के निकट के ब्लॉक गरियाबंद छुरा और मैनपुर में इस बांध का सिंचित क्षेत्र बहुत कम है। एक जानकारी के अनुसार सिकासेर जलाशय से मैनपुर तहसील क्षेत्र में करीब 5 हजार हेक्टेयर और छुरा क्षेत्र में सिर्फ एक हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती है। धमतरी जिले के कुछ हिस्से में भी सिंचाई की बात सामने आई है जबकि जिस क्षेत्र में इसका निर्माण हुआ है वहां सिंचाई सुविधा बहुत कम है।
विधायक जनक ध्रुव ने दी चेतावनी
बिन्द्रानवागढ़ विधायक जनक ध्रुव इसे दिया तले अंधेरा कहते हैं। ध्रुव कहते हैं कि इस बांध से राजिम क्षेत्र में पर्याप्त पानी दिया जाता है जबकि पहली प्राथमिकता स्थानीय लोगों को दी जानी चाहिये, ऐसा ना करके आप यदि बांध का पानी महासमुंद जिले के कोडार और केशवा जलाशय ले जाते है तो विरोध होगा, भले ही वो बरसात का वेस्टेज पानी क्यों ना हो। उन्होंने कहा कि इस मामले में किसानों का प्रतिनिधि मंडल 6 सितम्बर को डब्ल्यू आर डी के मुख्य अभियंता से मुलाकात करेगा और एक उचित कार्ययोजना तैयार करने के संबंध चर्चा की जायेगी। इस प्रतिनिधि मंडल में गरियाबंद तथा छुरा ब्लॉक के 21गांवों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू का ड्रीम प्रोजेक्ट
कहते हैं कि सिकासेर – कोडार लिंक परियोजना महासमुंद संसदीय क्षेत्र के पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू का ड्रीम प्रोजेक्ट है। पिछले दो तीन वर्षों तक उन्होंने इस परियोजना के लिये बहुत प्रयास किया है। उनके मुताबिक दो बांधो को नहर के माध्यम से जोड़कर खेतों तक पानी पहुंचाने और व्यर्थ बह जाने वाली जलधारा को सहेजने की ये महत्वपूर्ण परियोजना है। जिससे सिकासेर का पानी केनाल के माध्यम से महासमुंद जिले में स्थित कोडार बांध तक भराव के लिये आने से महासमुंद जिले के एक बड़े रकबे को सुखा अकाल से मुक्ति मिलेगी।
एक नजर सिकासेर कोडार लिंक परियोजना पर
जिस परियोजना के सर्वे के लिये ही करोड़ों रुपयों के आबंटन की जानकारी मिल रही हो तब ऐसी परियोजना की जानकारी अधिकतम लोगों को होनी चाहिये। विभागीय जानकारी के अनुसार गरियाबंद जिले में स्थित सिकासेर जलाशय का 52 से 60 प्रतिशत अतिरिक्त जल सम्भवतः मानसून के पहले या बाद में व्यर्थ बहा दिया जाता है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता एस के बर्मन के अनुसार सिकासेर बांध का पानी प्रति वर्ष 25 हजार क्यूसेक मासिक व्यर्थ होता है जो समुद्र में मिल जाता है। इसे हम एक्सेस वाटर या अतिरिक्त जल भी कह सकते हैं जो बांध की जल भराव क्षमता के अतिरिक्त होता है।
वही दूसरी ओर महासमुंद जिले में स्थित कोडार बांध में पिछले 20 वर्षों से स्टोरेज गेन नही हो पा रहा है। महासमुंद जिले का झलप वाटर क्राइसेस एरिया है। बर्मन के अनुसार मूल सिंचाई क्षेत्र को संरक्षित रखते हुये अतिरिक्त जल को लिंक के माध्यम से एक डेम से दूसरे डेम जोड़ना ही लिंक परियोजना कहलाता है। अधिक जल भराव क्षेत्र के एक्सेस वाटर को सूखे एरिया में पहुंचाना इस परियोजना का उद्देश्य है।