*आरक्षण कटौती: संवैधानिक अधिकारों का हनन – विष्णु लोधी*
*ओबीसी वर्ग के साथ हो रहा है अन्याय विष्णु लोधी*
*छत्तीसगढ़ सरकार से मांग: ओबीसी आरक्षण पर पुनर्विचार करें – विष्णु लोधी*
*संविधान के 50% सीमा प्रावधान पर पुनः विचार की आवश्यकता – विष्णु लोधी*
*आरक्षण नीति की समीक्षा समय की मांग – विष्णु लोधी*
*ओबीसी वर्ग के हितों की अनदेखी अस्वीकार्य – विष्णु लोधी*
राजनांदगांव।
छत्तीसगढ़ राज्य लोधी के प्रदेश कोषाध्यक्ष विष्णु लोधी ने कहा छत्तीसगढ़ राज पत्र में दिनांक 3 दिसंबर 2024 को प्रकाशित आरक्षण नीति में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। यह स्थिति राज्य के ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय और उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
विष्णु लोधी ने कहा राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यदि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का आरक्षण कुल मिलाकर 50% तक पहुंच जाता है, तो ओबीसी वर्ग का आरक्षण घटकर शून्य हो सकता है। यह नीति न केवल ओबीसी वर्ग के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि उनकी राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक प्रतिनिधित्व को भी प्रभावित करती है।
हमारी मांगे:
1. ओबीसी वर्ग को न्यूनतम 27% आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
2. राज्य में आरक्षण की समीक्षा करते हुए सभी वर्गों के लिए न्यायसंगत और संतुलित नीति लागू की जाए।
3. संविधान के 50% आरक्षण सीमा को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से संशोधन की मांग की जाए।
4. यदि ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता, तो इसके खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर की जाए।
हम क्यों विरोध कर रहे हैं?
विष्णु लोधी ने कहा ओबीसी वर्ग की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए आरक्षण उनका संवैधानिक अधिकार है। यदि उन्हें न्यूनतम 27% आरक्षण नहीं दिया जाता, तो यह उनके विकास के मार्ग को बाधित करेगा। यह नीति ओबीसी वर्ग की जनसंख्या के अनुपात में उन्हें प्रतिनिधित्व देने में विफल है।
विष्णु लोधी ने कहा हम ओबीसी वर्ग के सभी लोग इस नीति का पुरजोर विरोध करते हैं। हम राज्य सरकार से आग्रह करते हैं कि ओबीसी वर्ग को न्यायसंगत आरक्षण सुनिश्चित करें। यदि हमारी मांगे नहीं मानी जाती हैं, तो हम लोकतांत्रिक तरीके से बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
राजनांदगांव से दीपक साहू