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बिना डिग्री, बिना रजिस्ट्रेशन—धड़ल्ले से चल रहा अवैध दांत का दवाखाना

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गरियाबंद। जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का गोरखधंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। दूरस्थ इलाकों की बात छोड़ भी दें, लेकिन यदि जिला मुख्यालय में ही अवैध क्लीनिक संचालित हो रहे हों, तो यह स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है।

नगर के कचहरी रोड स्थित मुंशी धर्मशाला में एक ऐसा ही अवैध दंत चिकित्सालय चल रहा है, जहां न किसी डॉक्टर की डिग्री है, न रजिस्ट्रेशन, और न ही किसी प्रकार की मूलभूत चिकित्सा सुविधायें। यहां प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठाकर मरीजों के दांतों का इलाज किया जा रहा है, जिससे मरीजों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है।

बाहरी डॉक्टर के नाम पर बचने की कोशिश

बुधवार, 19 फरवरी को जब इस दवाखाने में मौजूद व्यक्ति से पूछताछ की गई, तो उसने बताया कि क्लीनिक किसी अभनपुर के डॉक्टर के नाम पर पंजीकृत है। लेकिन जब डॉक्टर का मोबाइल नंबर मांगा गया, तो वह जवाब देने से बचता रहा। कुछ ही देर में उसने कहा कि डॉक्टर राजिम के हैं और सप्ताह में केवल रविवार को आते हैं, जबकि क्लीनिक हर दिन संचालित हो रहा है।

पेशेंट का ईलाज

डॉक्टर नही, मरीज को प्रिस्क्रिप्शन किसने लिखकर दिया ?

बाहर खड़े एक मरीज के हाथ में 19 फरवरी 2025 की तारीख वाली दवा पर्ची थी, जबकि क्लीनिक में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। सवाल उठता है कि यह दवा किसने लिखी? पर्ची में उच्च मात्रा की एंटीबायोटिक और दर्द निवारक निमेसुलाइड लिखी गई थी, जिसे आमतौर पर जानवरों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल नहीं किया जाता।

दवा की पर्ची पर मोबाईल नंबर भी लिखा है

फर्जी नाम पर चल रहे कई क्लीनिक और लैब

नगर और आसपास के गांवों में कई ऐसे दवाखाने और पैथोलॉजी लैब संचालित हो रहे हैं, जहां केवल बाहरी डॉक्टरों के नाम पंजीकृत हैं, लेकिन डॉक्टर वहां हफ्तों या महीनों तक नहीं आते। इसके बावजूद उनके नाम पर क्लिनिक और लैब प्रतिदिन चलते रहते हैं और मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जाता है।

स्वास्थ्य विभाग से की गई शिकायत

नगर में संचालित इस अवैध दंत चिकित्सालय के खिलाफ सीएमएचओ को लिखित शिकायत दी गई है। अब देखने वाली बात होगी कि स्वास्थ्य विभाग इस पर क्या कार्रवाई करता है और कितनी जल्दी इस फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जाती है।

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