* टोकन घोटाले और उठाव में देरी पर फूटा आक्रोश; 3100 रुपये के वादे पर सवाल…
* धान खरीदी की सीमित व्यवस्था और तकनीकी बहानों से लौटाया जा रहा किसानों का अनाज…
सूरज ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में साय सरकार के गठन के बाद से ही किसानों की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही है। कभी खाद विरतण की समस्या तो कभी पटवारी कार्यालय के चक्कर लगाना, किसानों का कोई भी काम समय पर नहीं हो रहा हैं। वहीं धान खरीदी केन्द्रों में खरीदी की लिमिट को न्यूनतम स्तर पर ला दिया गया है यह स्थिति सरकार की किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाती है। लगता है सरकार, किसानो का धान लेने का इरादा नहीं है। सरकार किसानो का नहीं, व्यापारियों की सरकार साबित हो रहा है।
वहीं किसानों का धान कटकर पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन बेचने के लिए उन्हे फिर भटकना पड़ रहा है । लगभग 25-30 दिन में धान खरीदी जारी है, लेकिन अब तक धान उठाव प्रारंभ नहीं पाया है। यदि उठाव में और देरी हुई तो उपार्जन केंन्द्रों में जाम की स्थिति बनेगी और इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा।
किसानों का धान को नमी और अन्य तकनीकी बहाने बनाकर किसानो का धान वापस किया जा रहा है, जिससे उनकी सालभर की मेंहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
यह सब दर्शाता है कि साय सरकार के द्वारा चुनाव के समय मोदी की गांरटी के नाम पर किसानों को 3100रू एक मुस्त भुगतान देना का वादा किया था। गरीब महिलायों को 500 रू में गैस कनेक्सन, बेरोगारी भत्ता देने का वादा किया था। लेकिन मोदी की गांरटी हर क्षेत्र मे असफल साबित हो रहा है। और आज दो साल हो गया है और किसानों को 2369रू का भुगतान किया जा रहा है।
देश के मोदी सरकार तीन कालें कृषि कानून लाकर किसानों कों अपने अधिकारों के लिए लड़ते-लड़ते मरने में विवश कर देती है वैसे ही आज प्रदेश के साय सरकार कृषि प्रधान राज्य में किसानों के साथ कर रहा है।
सूरज आगे कहा कि भाजपा सरकार के मंत्री 2047 में विकसित प्रदेश की सपना दिखा रहा है शायद भारतीय जनता पार्टी के नेता भूल जाते है कि यह एक लोकतान्त्रिक देश है। जहां हर 5 साल बाद जनता के द्वारा नए मुखिया का चुनाव किया जाता है भाजपा सरकार को 2047 की चिता छोड़ वर्तमान परिस्थितियों में ध्यान देना चाहिए।