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पत्रकारों ने की पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग : मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौपा ज्ञापन

गरियाबंद। पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ़ की जिला इकाई गरियाबंद द्वारा पत्रकारों की मांगों पर समुचित कार्यवाही सम्बन्धीत मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा है।

जिले के पत्रकारों ने, पत्रकारों की सुरक्षा के लिये छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून को संशोधित कर तत्काल लागू किये जाने की मांग की है। ज्ञापन में लिखा है कि जनहित में कार्यरत पत्रकारों के लिये वर्तमान व्यवस्था में सुरक्षा का अभाव है। पत्रकारों को लगातार असामाजिक ताकतों, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के हमलों का सामना करना पड़ रहा है।

अनेक पत्रकारों की हो चुकी है हत्या

छत्तीसगढ़ राज्य में रेत, पत्थर, शराब और रियल एस्टेट माफियाओं द्वारा लगातार पत्रकारों को डराया धमकाया जाता रहा है, वहीं राज्य में अनेक पत्रकारों की हत्या भी हुई है। पत्रकारों की सुरक्षा के लिये विशेष कानून बनाने की पत्रकार संघों की अपील को केंद्र और राज्य सरकारे अनसुना कर रही हैं। विदित हो कि 02 अक्टूबर 2024 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ के समस्त पत्रकार संगठनों के नेतृत्व में संयुक्त पत्रकार महासभा का विशाल आयोजन किया गया था। इस आयोजन में पत्रकारों के अधिकार की मांग रखी गई थी । पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ़, केंद्र और राज्य सरकार से पत्रकारों और मीडिया कर्मियों की सुरक्षा के लिये व्यापक कानून बनाने की मांग करती है।

पत्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिये अथक प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में प्रेस काउंसिल आफ इंडिया द्वारा केंद्र सरकार को दिये गये सकारात्मक विशिष्ट प्रस्तावों के अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिये विशेष उपाय किये जाने चाहिये।

महाराष्ट्र में लागू है कानून

पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में यह कानून लागू है तथा हरियाणा, बिहार और अन्य राज्य सरकारों ने इन कानूनों को लागू करने की इच्छा व्यक्त की है। हमारी मांग है कि केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार पत्रकारों पर हमले के मामलों में पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने के लिये स्पष्ट प्रावधानों के साथ व्यापक कानून बनाएं।

मीडिया आयोग की स्थापना

संयुक्त पत्रकार महासभा, केंद्र व राज्य सरकार से मांग करती है कि पत्रकार हित में उचित कानून बनाने और वर्तमान में मीडिया क्षेत्र में बदलाव और स्थितियों का व्यापक अध्ययन करने के बाद उचित सिफारिशें लागू करने के लिये तत्काल मीडिया आयोग का गठन करें।

पिछले तीन दशकों में मीडिया का जैसा हाल हो गया है, उस पर कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश के कुछ मीडिया चैनलों पर विभिन्न समुदायों के बीच नफरत भड़काने वाले कार्यक्रमों के प्रसारण पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मीडिया संगठनों को ऐसी प्रवृत्तियों पर रोक लगानी चाहिये। इस संदर्भ में देश में प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, डिजिटल और सोशल मीडिया की स्थिति का अध्ययन करने और उचित कानून और दिशा निर्देश बनाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, प्रेस काउंसिल आफ इंडिया, जो वर्तमान में केवल प्रिंट मीडिया तक ही सीमित है, के कार्यक्षेत्र को विस्तारित कर,इसमें इलेक्ट्रानिक, डिजिटल तथा इंटरनेट मीडिया का समावेश करते हुये मीडिया काउंसिल आफ इंडिया में बदलने की आवश्यकता / विचार भी राष्ट्रीय पत्रकार संगठनों, प्रेस काउंसिल आफ इंडिया द्वारा बार-बार बयानों के माध्यम से की गई है।

पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ़ की पुरजोर मांग है कि केंद्र में हाल ही में बनी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये और एक मीडिया आयोग का गठन करना चाहिए और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को मीडिया काउंसिल में बदलना चाहिये।

पत्रकार कल्याण कोष और वेज वोर्ड कमेटी बनाने की मांग

पत्रकारों को पत्रकारिता के दौरान आने वाली समस्याओं को हल करने, पत्रकार कल्याण के लिये साथ ही मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के क्रियान्वयन की निगरानी के लिये गठित समितियों का कामकाज ठीक ढंग से नहीं चल रहा है। पिछले 5 वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इन समितियों के गठन में लापरवाही बरती है। इन समितियों पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। पत्रकारों पर हमलों को रोकने के लिये राज्य स्तर पर जनसम्पर्क मंत्री/श्रम मंत्री की अध्यक्षता और जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में समितियों का पुनर्गठन किया जाना चाहिये।

पत्रकार कल्याण कोष समिति में प्रतिनिधित्व की मांग

पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ़ सरकार से यह भी अपील करती है कि पत्रकार संघों के प्रतिनिधियों को पत्रकारों की सहायता के लिए गठित पत्रकार कल्याण कोष समिति में प्रतिनिधित्व दिया जाये।

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