राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए दंडित नहीं किया जाएगा- उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा
मंत्री परिषद की बैठक में अब तक कुल 103 प्रकरण लिये गये वापस,
राज्य के 16 जिलों के 41 प्रकरण न्यायालय द्वारा हुये वापस
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ सरकार ने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और निष्पक्ष शासन की प्रतिबद्धता को दोहराते हुये विभिन्न जिलों में दर्ज 103 गैर-गंभीर राजनीतिक प्रकरणों की वापसी का निर्णय लिया है।
गृह विभाग द्वारा जिलों से प्राप्त रिपोर्ट और विस्तृत समीक्षा के बाद मंत्रिमंडलीय उपसमिति की अनुशंसा पर यह फैसला लिया गया। न्यायालय से विधिवत स्वीकृति मिलने के पश्चात 41 प्रकरणों में अभियुक्तों को राहत प्रदान की गई और संबंधित पुलिस रिकॉर्ड से उनके नाम हटा दिए गये।
गरियाबंद जिले के 6 प्रकरण को वापस लिया गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा बस स्टैंड चौराहे पर चक्काजाम करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में डमरूधर पुजारी, गोवर्धन मांझी, गुरुनारायण तिवारी, पुनीत राम सिन्हा, लंम्बोधर साहू, गाडाराम उर्फ धनीराम सिन्हा, अर्णव ठाकुर और विभा अवस्थी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। न्यायालय द्वारा 15 जनवरी 2025 को इस प्रकरण की वापसी की स्वीकृति दी गई।
दिनांक 17 फरवरी 2023 को भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा बस्तर में भाजपा कार्यकर्ताओं का नक्सलियों द्वारा हत्या करने के विरोध में शासन के विरुद्ध नाराबाजी करते हुये रास्ता अवरुद्ध करने के खिलाफ संदीप पांडे, किशन काण्डरा और गुलशन सिन्हा के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया था। जिसे न्यायालय द्वारा 20 जनवरी 2025 को वापस लिया गया।
एनएच 130 में चक्का जाम कर नारेबाजी करने और शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने के खिलाफ पुनीत राम, भोजलाल, योगीराज मदराम पटेल, धनु साहू, तेजराम साहू, मिट्ठू साहू इशू साहू, पुलस्त साहू, गजेंद्र कोमर्रा, भुवनलाल प्रधान, शेखर साहू, राजेश पटेल, खिलेश्वर साहू, हेमलाल जगत, चुलु राम, प्यारेलाल पटेल, कन्हैयालाल, कुति बाई, मोहित यादव, परमानंद साहू, रामानंद साहू, नूतन सागर, मोतीलाल जगत, यमराज यादव, अशोक पटेल और गोपाबंधु पटेल के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया जिसे न्यायालय द्वारा 5 मार्च 2025 को वापस लिया गया।
एनएच 130 में चक्का जाम कर नारेबाजी करने और शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने के खिलाफ योगीराज माखन, गुरु नारायण तिवारी, पुनीत राम सिन्हा, ठेलू राम कश्यप, संजय दुबे, धनीराम सिन्हा, लंबोदर साहू, तान सिंह, कुमारी विनीता यादव, गोवर्धन मांझी, निर्भय ठाकुर और जय अवस्थी के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया, जिसे न्यायालय द्वारा 5 मार्च 2025 को वापस लिया गया।
ग्राम उरमाल चौराहा पर स्थानीय समस्याओं को लेकर आम रास्ता रोकने के कारण विभा अवस्थी, प्रकाश चंद्र, बंटी जैन अरविंद सोम, बोधन नायक, नेहरू लाल, अर्जुन पोरते, दीपक चंद कश्यप, राजकुमार और जय भारत के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया जिसे न्यायालय द्वारा 5 मार्च 2025 को वापस लिया गया। सहदेव पटेल, गौतम साहू तारक प्रधान, बुनधर सिंह, नवीन साहू, तुलेश्वर पटेल, रोशन साहू, देवशरण साहू, फाल्गुन साहू और घनश्याम साहू द्वारा प्रार्थी के गाड़ी को तोड़फोड़ किए जाने और आम रास्ता को बलपूर्वक रोके जाने के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया था। जिसे न्यायालय द्वारा 5 मार्च 2025 को वापस लिया गया।
उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी की सरकार सुशासन की सरकार है। हमारी सरकार में किसी भी निर्दाेष के साथ गलत नही होने दिया जायेगा। लोकतंत्र में हर नागरिक को अपनी बात रखने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में कई ऐसे राजनीतिक प्रकरण दर्ज किये गये थे, जो केवल लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रयोग का हिस्सा थे। हमारी सरकार की नीति हमेशा यही रही है कि राजनीतिक कारणों से किसी भी निर्दाेष व्यक्ति को झूठे मुकदमों में न फंसाया जाये।
इसलिए हमारी सरकार ने निष्पक्षता के साथ इन मामलों की समीक्षा कर ऐसे सभी गैर-गंभीर मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया है। उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री शर्मा ने आगे कहा कि हमारी सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है और किसी भी नागरिक के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा। यह निर्णय न केवल न्यायसंगत है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
विपक्ष की तुष्टिकरण और दमनकारी नीतियों के विपरीत, हमारी सरकार पारदर्शिता, निष्पक्षता और सुशासन में विश्वास रखती है। उपमुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जो प्रकरण कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले या हिंसक गतिविधियों से जुड़े हुए थे, उनकी समीक्षा अलग प्रक्रिया के तहत की गई है। लेकिन जिन मामलों में केवल राजनीतिक विरोध या लोकतांत्रिक आंदोलन हुआ था और किसी प्रकार की हिंसा नहीं हुई थी, उन्हें न्यायालय से स्वीकृति प्राप्त कर वापस लिया गया है। हमारी सरकार की मंशा स्पष्ट है हम जनता के हक की रक्षा करेंगे, लोकतंत्र की भावना को मजबूत करेंगे और राजनीतिक द्वेष के आधार पर लिए गये निर्णयों को सुधारेंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार जनता की सरकार है और हम किसी भी निर्दाेष व्यक्ति पर बेवजह कानूनी बोझ नहीं डालने देंगे,
राजनीतिक प्रकरणों की वापसी एक विस्तृत और कानूनी प्रक्रिया के तहत की जाती है।
सबसे पहले राज्य शासन द्वारा सभी जिलों में दर्ज राजनीतिक प्रकरणों की समीक्षा की जाती है। गृह विभाग द्वारा संबंधित जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाता है कि कौन-से मामले गंभीर प्रकृति के नहीं हैं और जिनमें हिंसक घटनाएं शामिल नहीं हैं। इसके बाद मंत्रिमंडलीय उपसमिति की अनुशंसा उपरांत, प्रकरण को मंत्रिपरिषद में अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाता है। अनुमोदन प्राप्त होने के बाद न्यायालय में प्रकरण वापसी का आवेदन प्रस्तुत किया जाता है। न्यायालय द्वारा इस मामले की विधिवत समीक्षा के उपरांत अभियुक्तों को राहत प्रदान करने की अनुमति दी जाती है। न्यायालय की स्वीकृति प्राप्त होने के बाद संबंधित पुलिस रिकॉर्ड से अभियुक्तों के नाम हटा दिये जाते हैं और उन्हें विधिवत मुक्ति प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है।
शासन स्तर पर इस निर्णय को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये रखने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का सम्मान हो और राजनीतिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न कानूनी समस्याओं का समाधान किया जा सके।