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मुख्यमंत्री ने भारत की दार्शनिक परंपरा और गुरु के महत्व पर विस्तार से ग्राम भनसुली में की चर्चा

दुर्ग : हमारे देश में उपनिषदों और तर्क की परंपरा रही है। हमारी परंपरा हमें असहमति का सम्मान करना भी सिखाती हैं। एक ही साथ हमारे देश में कई तरह के दर्शन हुए और आपस में असहमतियों के बावजूद सभी का आदर रहा। चार्वाक इसका बड़ा उदाहरण है जिन्होंने यावत जीवेत सुखम जीवेत ऋण कृत्वा घृतं पीबेत, जैसी बात कही लेकिन उनका भी अनादर नहीं किया गया।

दुर्भाग्य से इधर के वर्षों में असहमति को लेकर प्रतिरोध बढ़ा है जो चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री ने यह बात भनसुली में सेवानिवृत्त शिक्षकों के सम्मान के अवसर पर कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी परंपरा में अध्ययनशीलता का बहुत महत्व है। लोग विश्व विद्यालयों में काफी पढ़ कर लेखक बनते हैं साहित्यकार बनते हैं लेकिन अभी हाल ही में एक नई यूनिवर्सिटी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का अस्तित्व आया है इसके लिए किसी तरह की डिग्री की जरूरत नहीं और इसके माध्यम से दुष्प्रचार का प्रसार भी होता है। पंडित नेहरू जैसे देशभक्त जो 10 साल अंग्रेजों के विरुद्ध जेल में रहे। उनके योगदान को भूलाकर उनके विरुद्ध दुष्प्रचार किया जाता है।

हमारी उत्कृष्ट परंपरा को विकृत करने की कोशिश ना हो इसके लिए हमने स्कूलों को सुदृढ करने का कार्य किया। स्वामी आत्मानंद स्कूल के माध्यम से अंग्रेजी शिक्षा का विस्तार किया। यहां संस्कृत भी पढ़ाई जाएगी। लाइब्रेरी बढ़िया बनाई ताकि अच्छी पुस्तकों तक बच्चे पहुंच सकें।

उन्होंने कहा कि भारत में शंकराचार्य जैसे महान दार्शनिक हुए जिन्होंने ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या की बात कही। रामानुजाचार्य जैसे गुरुओं ने भक्ति आंदोलन चलाया। इसके बाद कबीर, नानक जैसे गुरुओं ने गुरु पद की परंपरा को सामने रखा। कबीर ने गुरु को गोविंद से भी श्रेष्ठ बताया है।

गोलमेज के गांधी जी के अनुभव बताए-

मुख्यमंत्री ने गांधीजी के गोलमेज कांफ्रेंस के संस्मरण से भी लोगों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि गोलमेज कांफ्रेंस में भी कड़ी सर्दी के बावजूद महात्मा गांधी धोती कुर्ते में ही रहे और इस तरह से उन्होंने बताया कि किस तरह से अंग्रेजों ने भारत की आत्मनिर्भर अर्थ व्यवस्था को समाप्त करने में बड़ी भूमिका निभाई।

स्कूलों के संधारण के लिए 500 करोड़ रुपये-

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य हमारी सबसे अहम जरूरत हैं। स्कूलों के संधारण के लिए हमने 500 करोड़ रुपए व्यय करने का निश्चय किया है। हमारे स्कूलों में एक दिन छत्तीसगढ़ी और स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई होगी। हमने 5000 बालवाड़ी आरंभ करने का निर्णय लिया है। हमने 51 स्वामी आत्मानंद स्कूलों के माध्यम से अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत की। आज इनकी संख्या 279 हो गई है। अगले साल 422 नए स्वामी आत्मानंद विद्यालय आरंभ हो जाएंगे। इस तरह से 701 स्वामी आत्मानंद विद्यालय हो जाएंगे। नवा रायपुर में हमने आज स्कूल खुला है। मुख्यमंत्री ने आज भनसुली में मिनी स्टेडियम की स्थापना की घोषणा भी की। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री केशरी नाथ वर्मा, पूर्व विधायक श्री प्रदीप चौबे एवं शिक्षा विद श्री सैय्यद फ़ाज़िल ने भी सभा को संबोधित किया। शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री पूरन साहू ने भी सभा को संबोधित किया और मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस मौके पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री अशोक साहू जी, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री जवाहर वर्मा जी , जिला मंडी बोर्ड के अध्यक्ष श्री अश्विनी साहू, जनपद पाटन के उपाध्यक्ष देवेंद्र चंद्रवंशी जी , ब्लॉक कांग्रेस कमेटी जामगांव आर के अध्यक्ष राजेश ठाकुर जी ,ब्लॉक कांग्रेस कमेटी पाटन के अध्यक्ष महेंद्र वर्मा जी,जनपद पंचायत पाटन के सभापति रमन टिकरिहा जी ,रूपचंद साहू जी ,दिनेश साहू जी, जिला पंचायत सदस्य दुर्गा कमलेश नेताम जी, जिला पंचायत सदस्य मोनू साहू जी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य राकेश ठाकुर जी, महामंत्री रुपेंद्र शुक्ला जी, उपाध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी उमाकांत चंद्राकर जी, जोन प्रभारी भेस आटे जी, जोन प्रभारी सोहन जोशी जी ,ग्राम पंचायत बोरेंदा के सरपंच कमलेश वर्मा जी, ग्राम पंचायत कौही के सरपंच श्रीमती मनोरमा  टिकरिहा जी ,पूर्व जनपद सदस्य गैंदलाल डेहरिया जी, तेलीगुंडारा के सरपंच मनीष पटेल जी ,ग्राम पंचायत भंसूली के सरपंच श्रीमती तुलसी डहरिया जी, शाला विकास समिति के अध्यक्ष श्री पूरन साहू जी एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
इस मौके पर कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा एवं एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ,एसडीओपी देवांश सिंह राठौर भी उपस्थित रहे।

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